बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में नौकरशाहों का Phd घोटाला | BHOPAL NEWS

भोपाल। नियमों का पालन कराना ब्यूरोक्रेट्स की जिम्मेदारी है परंतु यदि नौकरशाही नियम तोड़ने लगे तो फिर क्या होगा। बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी में कुछ ऐसा ही हो रहा है। भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के कुछ अधिकारी ऐसे हैं जो बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे हैं और उन्होंने सेवा से अवकाश भी नहीं लिया है। यानी वह एक ही समय में दो स्थानों पर उपलब्ध है। एक पीएचडी की क्लास में और दूसरा अपने ऑफिस में। 

बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी को शिकायत मिली है

पत्रकार श्री अभिषेक दुबे ने इसका खुलासा किया है। उनकी रिपोर्ट के अनुसार बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी को इस आशय की एक शिकायत मिली है। BU प्रशासन अब ऐसे सभी अधिकारियों की रिसर्च निरस्त करने जा रहा है। साथ ही उन्हें कोर्स वर्क की कक्षाओं में भी शामिल नहीं होने दिया जाएगा। बीयू ने पिछले दिनों पीएचडी की अनुमति देने के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित की थी। इस परीक्षा में आईएएस, आईपीएस, आईएफएस समेत प्रदेश के कई अधिकारी शामिल हुए थे। इनमें से कुछ अधिकारियों ने प्रवेश परीक्षा पास भी कर ली है। प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद अब यह अधिकारी कोर्स वर्क की कक्षाओं में शामिल हो रहे हैं।

नियमानुसार पीएचडी के लिए अधिकारियों को स्टडी लीव लेनी होगी

इनमें से कुछ अधिकारियों के बारे में बीयू प्रशासन को शिकायत मिली है कि यह अधिकारी स्टडी लीव लिए बिना पीएचडी की कोर्स वर्क परीक्षाओं में शामिल हो रहे हैं। नियमानुसार यह सही नहीं है। वे विभाग से वेतन भी ले रहे हैं और पीएचडी भी कर रहे हैं। यदि विभाग ऐसे अधिकारियों की पीएचडी की अनुमति निरस्त करता है तो उसके बाद उन उम्मीदवारों को पीएचडी का मौका मिल सकेगा, जिनके नाम प्रतीक्षा सूची में हैं।

शासकीय सेवकों के लिए यूजीसी के नियम

यूजीसी के नियम अनुसार किसी भी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी को पीएचडी कोर्स वर्क करने के लिए विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। साथ ही उसे स्टडी लीव भी लेना होती है। अधिकारी-कर्मचारी नौकरी के साथ-साथ कोर्स वर्क की कक्षाओं में उपस्थित नहीं हो सकते हैं।

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार का बयान

बीयू प्रशासन को शिकायत मिली है कि आईएएस, आईपीएस, आईएफएस समेत प्रदेश के कुछ अधिकारी बिना अवकाश लिए पीएचडी कोर्स वर्क में शामिल हो रहे हैं। बीयू प्रशासन अब सभी के दस्तावेजों की जांच करेगा। इसमें देखा जाएगा कि उन्होंने अपने विभाग से अनुमति ली है या नहीं। यदि अनुमति नहीं ली है तो उन्हें कोर्स वर्क की कक्षा में शामिल नहीं होने दिया जाएगा। साथ ही उनकी पीएचडी की अनुमति भी निरस्त कर दी जाएगी। 
बी भारती, रजिस्ट्रार, बीयू 

विभागीय अनुमति के बिना एडमिशन कैसे दे दिया 

इस मामले में एक बड़ा प्रश्न यह भी है कि जब यूजीसी ने नियम बना दिया है तो फिर यूनिवर्सिटी ने विवाह की अनुमति के बिना अधिकारियों को एडमिशन कैसे दे दिया। जिस तरह उम्मीदवारों के सभी दस्तावेज एडमिशन से पहले जांच किए जाते हैं उसी तरह शासकीय सेवकों के मामले में विभागीय अनुमति एवं स्टडी लीव एप्लीकेशन की जांच क्यों नहीं की जाती। क्या विश्वविद्यालय प्रशासन ने सिस्टम में एक गुंजाइश छोड़ रखी है ताकि गड़बड़ी की जा सके और यदि कभी कोई शिकायत हो जाए तो जांच कराने का बयान दे दिया जाएगा।

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