भोपाल। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले में वीर सावरकर के फोटो के कारण राष्ट्रपति अवार्ड (2011) विजेता प्राचार्य आरएन केरावत को सस्पेंड कर दिया गया। अब इस मामले को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान एवं पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसे वीरों का अपमान बताया है एवं निलंबन वापस लेने की मांग की लेकिन शिक्षा मंत्री ने इसे अपराध बताया है और निलंबन को सही ठहराया है।
सरकारी स्कूल में भाजपा के एनजीओ प्रकोष्ठ ने बच्चों में बांटी थी सावरकर के फोटो वाली कॉपी
मामला मलवासा के सरकारी स्कूल का है। यहां बीते साल 4 नवंबर 2019 को भाजपा के एनजीओ प्रकोष्ठ ने बच्चों को वीर सावरकर के कवर वाली कॉपी बांटी थीं। इस मामले को लेकर किसी ने शिक्षा विभाग में शिकायत कर दी। मामले की जांच के आदेश दिए गए और विभागीय जांच के दौरान आरएन केरावत ने स्वीकार किया कि प्राचार्य होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी थी कि वह सुनिश्चित करें, गैर सरकारी संगठन स्कूल में किस प्रकार की सामग्री का वितरण कर रहे हैं। उनकी इसी स्वीकारोक्ति के आधार पर उज्जैन कमिश्नर अजीत कुमार ने उन्हें सस्पेंड कर दिया।
निलंबित प्राचार्य को बचाने भारतीय जनता पार्टी मैदान में कूदी
भाजपा के एनजीओ प्रकोष्ठ को सरकारी स्कूल में कार्यक्रम की अनुमति देने के कारण सस्पेंड हुए प्राचार्य आरएन केरावत को बचाने के लिए अब भारतीय जनता पार्टी मैदान में कूद गई है। भाजपा की एनजीओ प्रकोष्ठ ने सड़कों पर उतरने की धमकी दी है। स्कूल के कुछ छात्रों ने निलंबन के खिलाफ प्रदर्शन किया। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस कार्यवाही को वीरों का अपमान बताया। मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कमिश्नर की इस कार्रवाई का विरोध किया। सभी लोग प्राचार्य के निलंबन वापस लेने की मांग कर रहे हैं।
प्राचार्य आरएन केरावत के निलंबन पर स्कूल शिक्षा मंत्री का बयान
प्रिंसिपल आर एन केरावत गणित के विशेषज्ञ हैं और राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। निलंबन की कार्रवाई के बाद स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी ने कहा कि 'प्रिंसिपल की ये जवाबदारी थी कि उनकी मौजूदगी में अशासकीय संगठन के लोग कोई भी लिटरेचर बांटते हैं तो उसको उन्हें देखना चाहिए था। उसमे लापरवाही पाई गई इसलिए आयुक्त उज्जैन सम्भाग ने उन्हें निलंबित किया है।