अतिथिविद्वानों ने चॉइस फिलिंग प्रक्रिया की अर्थी निकाल कर विरोध जताया | MP NEWS

भोपाल। राजधानी भोपाल स्थित शाहजहानी पार्क में सूबे के सरकारी कॉलेजों में विगत दो दशकों से अपनी सेवायें दे रहे अतिथिविद्वानो का अपने नियमितिकरण हेतु धरना प्रदर्शन एवं आंदोलन लगातार 27वें दिन भी जारी रहा। विदित हो कि अतिथिविद्वानों कमलनाथ सरकार से विधानसभा चुनाव पूर्व दिए नियमितीकरण के वचन को पूरा करने की मांग कर रहे हैं।  

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय ने वर्तमान कांग्रेस सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार ने सत्ताप्राप्ति के बाद नियमितीकरण का वचन तोड़ा है। आज तक न तो सरकार द्वारा हमारे लिए नियमितीकरण के लिए कोई नीति बनाई गई है बल्कि बिना जांच लोकसेवा आयोग से तथाकथित रूप से चयनित  लोगों को नियुक्ति देने की जल्दबाजी मे लगभग 2700 अतिथिविद्वानों को फालेन आउट करके नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। 

कड़ाके की ठंड में 27 दिन से आंदोलनरत हैं अतिथिविद्वान

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजकद्वय डॉ देवराज सिंह एवं डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार अतिथिविद्वानों पिछले 27 दिनों से खुले आसमान तले कड़ाके की ठंड में सरकार से नियामितिकरण की गुहार लगा रहे हैं। यहां तक कि महिलाएं छोटे छोटे बच्चों के साथ अपने भविष्य के संरक्षण की लड़ाई लड़ रही है। हमारे कई साथी बीमार भी हुए किन्तु हमने अपना हौसला नही छोड़ा है। सरकार से हम अंतिम सांस तक नियमितीकरण की मांग करते रहेंगे। 

चॉइस फिलिंग प्रक्रिया की निकाली अर्थी

शाहजहानी पार्क भोपाल में अतिथिविद्वानों ने आज उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रारम्भ की जा रही चॉइस फिलिंग प्रक्रिया की अर्थी निकाल कर विरोध जताया। अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रांतीय प्रवक्ता डॉ मंसूर अली के अनुसार सरकार से हमारी मांग केवल वचनपत्र अनुसार नियमितीकरण की है। जबकि सरकार हमें चॉइस फिलिंग प्रक्रिया पुनः प्रारम्भ करके अतिथिविद्वान ही बनाये रखना चाहती है। हम इस चॉइस फिलिंग प्रक्रिया का विरोध करते हैं। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा लगातार हमें भ्रमित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री कमलनाथ जी ने हमसे नियमितीकरण का वादा लिया था। जबकि सरकार अब हमें फिर से  अतिथिविद्वान जैसी शोषणकारी व्यवस्था में बनाये रखना चाहती है। आज की कैबिनेट बैठक में जो नए पदों के सृजन की कवायद की गई है। उससे सरकार की हमको केवल अतिथिविद्वान बनाये रखने की मंशा ही स्पष्ट होती है। ज़रूरत इस बात की है कि सरकार अतिथिविद्वानों  के लिए वचनपत्र के अनुसार नियमितीकरण की स्पष्ट नीति  बनाये।

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