अतिथि विद्वान: सूर्य उत्तरायण हो गए परंतु सरकार उत्तरायण नहीं हुई, तिल तिल मरने को मजबूर | MP NEWS

भोपाल। जहां आज सारा देश मकर संक्रांति पर्व की खुशियां मना रहा है, आपस मे तिल गुड़ बाँट कर प्यार और सौहार्द भी बाँट रहा है। वहीं मध्यप्रदेश में एक ऐसा समुदाय भी है जो तिल और गुड़ में इस मौसम में भी तिल तिल मरने को मजबूर है। ये समुदाय मध्यप्रदेश उच्च शिक्षा विभाग में बीते दो दशकों से कार्यरत अतिथिविद्वानों का समुदाय है। जो सरकार से अपने नियमितीकरण का वचन पूरा करने की गुहार लगाने बीते 37 दिनों से शाहजहानी पार्क भोपाल में आंदोलनरत है। इस बीच प्रदेश में कई सरकारें आईं और चली गयी किन्तु अतिथिविद्वानों की स्थिति जस की तस बनी हुई है। 

धरना स्थल पर पहुंचे कांग्रेस के प्रवक्ता अमित गुरु ने अतिथि विद्वानों की मांगों को जायज ठहराते हुये उन्होने विपरीत मौसम में धरने पर और अपनी जिद पर अढे रहने की सराहना की और उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में आपसे नियमितिकरण का वादा किया है मुख्यमंत्री कमलनाथ जी उसे पूरा करेंगे। उन्होंने अतिथि विद्वानों द्वारा तैयार किये गये मांग पत्र को स्वीकार करते हुये उन्होंने वादा किया कि यह मांग पत्र वह दिल्ली में राहुल गांधी जी और प्रियंका गांधी को दूंगा और आपके हित में निर्णय लिया जाये इस दिशा में पुरजोर कोशिस करूंगा।अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह के अनुसार हमने अब तक सत्ता के लगभग हर द्वार पर दस्तक दी है। किन्तु हमें अब तक आश्वासनों के अलावा कुछ नही मिला है। उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी से अब तक हमारी कई बैठकें हो चुकी है, किन्तु सरकार की मंशा अतिथिविद्वानों को राहत देने की प्रतीत नही हो रही है। हमने सरकार से 65 वर्षों तक अपनी सेवा की सुरक्षा की मांग के साथ साथ मानदेय में सुधार का निवेदन किया है। किंतु अब तक हमें सरकार से सकारात्मक जवाब नही मिल सका है। 

आश्वासन के स्थान पर अब वक्त है ठोस आदेश का


अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ मंसूर अली के अनुसार 37 दिनों से चल रहे हमारे आंदोलन ने दिनों का अर्धशतक पूर्ण कर लिया है। हम लगभग 47 दिन पूर्व छिन्दवाड़ा में एकत्रित हुए थे। जहां सरकार ने दमन पूर्वक जंगलों में हमें मरने के लिए छोड़ दिया गया। शाहजहानी पार्क में हमारे आंदोलन को 37वां दिन पूर्ण हो गया है, किन्तु सरकार ने अब तक हमें केवल आश्वासनों के माध्यम से ही भरोसा दिलाया है। जबकि हम लगातार ठोस कार्यवाही की बात करते चले आ रहे है। सरकार को हमने अपने भविष्य के संरक्षण हेतु 2-3 प्रस्ताव विचारार्थ  प्रस्तुत किये है। जिस पर सरकार चाहे तो अविलम्ब अंतरिम राहत के रूप में कोई बीच का रास्ता निकाल सकती है। किंतु सब कुछ मुख्यमंत्रीजी एवं उच्च शिक्षा मंत्री की इक्षाशक्ति पर निर्भर करता है की वे अतिथिविद्वानो की समस्याओं के निराकरण के प्रति कितने गंभीर है।

त्योहार के मौसम में घरों से दूर अतिथिविद्वान

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान ने बताया कि आज सारा देश-प्रदेश मकर संक्रांति पर्व की खुशियां मना रहा है, किन्तु अतिथिविद्वान एक ऐसी प्रजाति बन कर रह गई है जिसे ये खुशियां भी नसीब नही हो रही है। जहां तिल और गुड़ की मिठास से रिश्ते महक रहे है। अतिथिविद्वान बदहाली में तिल-तिल मरने को मजबूर हैं। आंदोलन का प्रबंधन संभाल रहे मीडिया प्रभारी डॉ आशीष पाण्डेय ने आगे बताया कि हम लगभव 40 दिनों से से अपने घरों से दूर है। कड़ाके की ठंड में खुले आसमान तले आंदोलन करते हमें आज 37 दिन हो गए हैं, किन्तु सरकार ने अब तक हमारी सुध नही ली है

आंदोलन का लगातार 37वां दिन

अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार  हमारा आंदोलन आज 37वें दिन भी जारी है। इस दौरान हमने कड़ाके की ठंड, बारिश और बीमारियों को झेला है। खराब मौसम के कारण महिलाएं एवं बच्चों को अस्पतालों में भर्ती करवाना पड़ा है। नौकरी देना तो दूर फालेन आउट करके लगभग 2700 लोगों को सेवा से बाहर कर दिया गया। आज अतिथिविद्वान चिंताग्रस्त एवं भारी तनाव में हैं। जिससे अतिथिविद्वानों को कई बीमारियों। एवं डिप्रेशन, चिंता जैसी मानसिक व्याधियों ने घेर लिया है।

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