छतरपुर के राजगढ़ पैलेस मामले में मप्र शासन को हाई कोर्ट का नोटिस जारी | MP NEWS

Bhopal Samachar
जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने छतरपुर स्थित राजगढ़ पैलेस के मामले में दाखिल हुई जनहित याचिका पर सुनवाई की और मध्यप्रदेश शासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। जवाब के लिए 19 फरवरी की तारीख तय की गई है। राजगढ़ पैलेस महाराजा भवानी सिंह के महल का नाम है। आजादी के बाद से यह सरकारी संपत्ति है। सरकार ने इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया था ताकि आने वाली पीढ़ियां इसका अध्ययन कर सकें। याचिकाकर्ता का आरोप है कि एक साजिश के तहत मध्य प्रदेश शासन के कुछ अधिकारियों ने राजगढ़ पैलेस को एक प्राइवेट कंपनी को लीज पर दे दिया जिसने इसे फाइव स्टार होटल बना दिया। अब महाराजा भवानी सिंह के महल में आम जनता का प्रवेश प्रतिबंधित कर दिया गया है।

छतरपुर के राजगढ़ पैलेस की कहानी: कैसे संरक्षित स्मारक से फाइव स्टार होटल बना

यह जनहित याचिका छतरपुर के पत्रकार दुर्गेश खरे की ओर से दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि महाराज स्व. भवानी सिंह के सैकड़ों वर्ष पुराने महल राजगढ़ पैलेस को राज्य सरकार ने 20 नवम्बर 1978 को संरक्षित स्मारक घोषित करते हुए एक अधिसूचना जारी की थी। याचिका में आरोप है कि 11 सितंबर 1995 को राज्य सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने 20 नवम्बर 1978 को जारी अधिसूचना वापस लेते हुए घोषित किया कि राजगढ़ पैलेस अब संरक्षित स्मारक नहीं रहेगा। 11 सितंबर 1995 को ही राजगढ़ पैलस पर्यटन विभाग को ट्रांसफर कर दिया गया। एक साल के भीतर 2 सितंबर 1996 को 5 करोड़ रुपए के प्रीमियम के एवज में राजगढ़ पैलेस को ओबेराय ग्रुप को लीज पर दे दिया गया। आवेदक का कहना है कि लीज निष्पादित होने के कई वर्षों बाद महल जस की तस स्थिति में था और आम जनता राजगढ़ पैलेस को देखने जाती रही। आरोप है कि ओबेराय ग्रुप के राजगढ़ पैलेस होटल एण्ड रिसार्ट प्राईवेट लिमिटेड को फायदा पहुंचाने यह कार्रवाई की गई। कुछ माह पहले पैलेस के कमरों में निर्माण कार्य शुरु होने पर याचिकाकर्ता ने पूरी जानकारी जुटाने के बाद यह जनहित याचिका दायर की, ताकि राजगढ़ पैलेस को संरक्षित स्मारक घोषित करके उसे आने वाली पीढिय़ों के लिए सुरक्षित रखा जा सके। 

मामले पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अमित सेठ ने पक्ष रखा। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट द्वारा वर्ष 1997 में दिए गए एक फैसले के मद्देनजर युगलपीठ ने याचिका में अनावेदक बनाए गए सरकार के मुख्य सचिव, पुरातत्व विभाग के आयुक्त, पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव और संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!