आधार ताल के डॉ. सुरेंद्र हैकर के जाल में उलझ गए, शारदा नगर वाले तिवारी जी भी लुट गए | JABALPUR NEWS

जबलपुर। आधार ताल निवासी डॉ सुरेंद्र कुमार सेन इंटरनेट पर सस्ती कार की तलाश कर रहे थे। इसी लालच ने उन्हें साइबर क्राइम का शिकार बना डाला। एक हैकर गूगल पर जाल बिछा रखा था, डॉ सुरेंद्र कुमार सेन उसमें ऐसे फंसे के पूरा बैंक अकाउंट खाली होने के बाद समझ आया, उनके साथ क्या कुछ हो गया है।

पुलिस ने बताया कि कहानी कुछ इस तरह है कि सुहागी अधारताल निवासी डॉ. सुरेंद्र कुमार सेन ने नई कार खरीदने के लिए गूगल सर्च से मिले मोबाइल नंबर पर बात की। हैकर ने बताया कि वह पुरानी कार के बदले 50 हजार रुपए दे सकता है और नई कार की कीमत 2 लाख 80 हजार रुपए है। फायदे का सौदा समझकर डॉक्टर ने हां कर दी। हैकर ने पंजीयन के लिए पेटीएम से 2 रुपए भेजने के लिए डॉक्टर के मोबाइल पर एक लिंक भेजी। डॉक्टर ने जैसे ही 2 रुपए पेटीएम किया उसका बैंक खाता खाली हो गया।

इंटरनेट के हर मोड़ पर मिलते हैं हैकर, शारदा नगर वाले तिवारी जी भी लुट गए

शारदा नगर करमेता निवासी जेपी तिवारी ने प्रयागराज जाने के लिए बस में ऑनलाइन सीट की बुकिंग कराई। इसके लिए उन्होंने बस ऑपरेटर का नंबर गूगल सर्च से प्राप्त किया। गूगल सर्च से मिले मोबाइल नंबर उन्होंने बात की। नंबर किसी बस ऑपरेटर का नहीं बल्कि हैकर्स का था। हैकर ने तिवारी से बातचीत कर प्रयागराज जाने वाली बस की जानकारी दी। उन्होंने तीन सीट बुक करने को कहा तो हैकर ने 5 रुपए पंजीयन शुल्क की मांग की। मोबाइल से ऑनलाइन 5 रुपए पंजीयन शुल्क भेजते ही जेपी तिवारी के मोबाइल पर एक ओटीपी आई। हैकर ने ओटीपी पूछी तो उन्होंने जानकारी दे दी। उनके द्वारा ओटीपी की जानकारी देते ही बैंक खाते से हजारों रुपए निकल गए।

साइबर क्राइम से बचने के लिए क्या करें 

सरल सा जवाब है वही करें जो 90 के दशक तक होता रहा है। उस समय लोगों को कोई भी सामान खरीदना हो या किसी भी व्यक्ति की सेवाएं लेनी हो तो वह संबंधित दुकानदार या सेवा प्रदाता की विश्वसनीयता रखता था। लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों से उसके बारे में पूछते थे। लोग दुकानदार या सेवा प्रदाता से पूछते थे कि वह किन-किन लोगों के साथ व्यवहार कर चुका है। इस प्रक्रिया के दौरान यह जांचने की कोशिश की जाती थी कि दुकानदार रिया सेवा प्रदाता की विश्वसनीयता क्या है। इंटरनेट पर एक क्लिक में सस्ता माल या सस्ती सेवाएं के लालच में लोग विश्वसनीयता का परीक्षण नहीं करते और ठगी का शिकार हो जाते हैं। किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले कृपया अपने उस परिचित से सलाह जरूर लें जो इंटरनेट पर अक्सर काम किया करता है। शायद वह आपको बता दें कि किस तरह का यूआरएल भरोसे के लायक होता है और किस तरह का फेक।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !