रिश्वतखोर कर्मचारियों की धरपकड़ करने वाला DSP सटोरिए से रिश्वत लेते गिरफ्तार | MP NEWS

होशंगाबाद। अनुविभागीय अधिकारी पुलिस जिनकी नियुक्ति पुलिस थानों में रिश्वतखोरी, पक्षपात, बेईमानी और लापरवाही आदि रोकने के लिए की जाती है वही एसडीओपी रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए। मामला मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील का है। काबिल और तो यह भी है कि रिश्वत लेते पकड़े गए एसडीओपी शंकरलाल सोनिया लोकायुक्त पुलिस के भोपाल कार्यालय में डीएसपी रह चुके हैं। यानी वह खुद गोपालन विभाग में रिश्वतखोर कर्मचारियों को छापामारी कर गिरफ्तार कर चुके हैं।

पुलिस कहती थी सट्टा चलाओ और हमें पैसा दो

लोकायुक्त टीम से मिली जानकारी के मुताबिक, सिवनी मालवा के देवल मोहल्ला डागाजी मार्ग निवासी सटोरिए दीपक धन्यासे (34) ने लोकायुक्त के भोपाल कार्यालय में शिकायत की थी। इसमें कहा गया था कि वह तीन महीने पहले सट्टा बंद कर चुका। एसडीओपी शंकरलाल सोनिया उसे सट्टा चालू रखने और हर माह 10 हजार रुपए रिश्वत देने का दबाव बना रहे हैं। तीन माह से उसने कोई राशि नहीं दी तो पुलिस बार-बार घर आकर परेशान कर रही थी। 21 जनवरी को एसडीओपी ने 20 हजार रुपए की मांग की। 

भोपाल की जगह सागर की लोकायुक्त टीम ने कार्रवाई की

जांच में रिश्वत मांगे जाने की पुष्टि होने पर लोकायुक्त टीम ने कार्ययोजना बनाई। दीपक और एसडीओपी की बातचीत में तय हुआ कि गुरुवार सुबह एसडीओपी को घर जाकर रिश्वत दी जाएगी। कार्रवाई करने की जिम्मेदारी भोपाल की बजाय सागर टीम को दी गई। सागर से लोकायुक्त डीएसपी राजेश खेड़े के नेतृत्व में आठ सदस्यीय टीम सिवनी मालवा आई। सुबह करीब 9 बजे शिकायतकर्ता दीपक एसडीओपी सोनिया के घर पहुंचा और 20 हजार रुपए रिश्वत देकर टीम को इशारा कर दिया। तभी टीम ने अंदर जाकर एसडीओपी को पकड़ लिया।

गिरफ्तार होते ही एसडीओपी का बीपी बढ़ गया

शंकरलाल सोनिया पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस बनाकर जमानत दे दी गई। इस दौरान एसडीओपी सोनिया की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें तत्काल सिविल अस्पताल ले जाया गया। जहां बीएमओ डॉ. कांति बाथम ने जांच की। उन्होंने बताया कि एसडीओपी की बायपास सर्जरी हो चुकी है। बीपी और शुगर की समस्या है। जांच कराने के बाद एसडीओपी को घर पहुंचाया गया।

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