भोपाल। राजधानी भोपाल के शाहजाहानी पार्क में चल रहे अतिथि विद्वानों के आंदोलन को 54 दिन पूर्ण हो चुके है किन्तु प्रदेश सरकार ने अब तक अतिथिविद्वानों की दुर्दशा जानने का कोई प्रयास नही किया है। अतिथिविद्वान पिछले 2 माह से कांग्रेस सरकार से वचनपत्र अनुसार नियमितिकरण किये जाने की मांग कर रहे हैं। किन्तु प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने नियमितीकरण तो दूर लगभग 2700 अतिथिविद्वानो को फालेन आउट करके बेरोजगार कर दिया है। और नियमितीकरण के नाम पर अतिथिविद्वानों को चोइस फिलिंग का झुनझुना पकड़ा दिया है।
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ देवराज सिंह ने कहा है कि प्रदेश के समस्त अतिथिविद्वान व संघर्ष मोर्चा प्रदेश सरकार और उच्च शिक्षा विभाग द्वारा थोपी जा रही भेदभावपूर्ण और भ्रामक चॉइस फिलिंग प्रक्रिया का विरोध करते हैं। यह चॉइस फिलिंग अतिथिविद्वानो के भविष्य का संरक्षण नही बल्कि शेष संभावनाओं को भी पूरी तरह बर्बाद कर देगी। मोर्चा के संयोजक डॉ सुरजीत भदौरिया के अनुसार उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी लगातार मीडिया और अतिथि विद्वानों को ये बोलकर गुमराह कर रहे है कि कोई भी अतिथिविद्वान सेवा से बाहर नही होगा। 2700 अतिथिविद्वानों के सेवा से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है। जबकि चॉइस फिलिंग पहले लगभग 1200 पदों और नए शेड्यूल अनुसार अब केवल लगभग 680 पदों पर की जा रही है। यह पूरी प्रक्रिया पूर्णतः भ्रामक एवं अन्यायपूर्ण है। इस चॉइस फिलिंग प्रक्रिया का हम विरोध करते है।
महामहिम राज्यपाल से मांगी अंग बेचने की अनुमति
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के प्रवक्ता डॉ मंसूर अली ने कहा है कि सरकार ने अब तक चुनाव पूर्व अतिथिविद्वानों से किया हुआ अपना नियमितीकरण का वादा नही निभाया है। इसके साथ-साथ लगभग 8 माह से उच्च शिक्षा विभाग ने बिना किसी कारण अतिथिविद्वानों का मानदेय भी रोक कर रखा है। इससे पिछले दो माह से भोपाल में आंदोलनरत अतिथिविद्वानों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो चुकी है। हालात इस कदर बदतर हो चुके हैं कि अतिथिविद्वान अपने परिवार का भरण पोषण तक नही कर पा रहे है। स्कूल फीस के अभाव में अतिथिविद्वानो के बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई है। जबकि कई अतिथिविद्वानो क़र्ज़ में डूब चुके हैं। जबकि लगातार अतिथिविद्वानों एवं उनमे आश्रित पारवारिक सदस्यों की असमय मृत्यु में समाचार अखबारों में प्रमुखता से प्रकाशित हुए है। बावजूद इसके उच्च शिक्षा विभाग अब तक कुम्भकर्णी नींद सोया हुआ है। इस कारण से व्यथित अतिथिविद्वानों ने महामहिम राज्यपाल महोदय को पत्र लिखकर अपने अंग तक को बेचने की अनुमति मांगी है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि प्रदेश सरकार ने न सिर्फ नौकरी से बाहर कर दिया है बल्कि 8 माह से वेतन रोककर आर्थिक रूप से हमें तोड़ दिया है। अब अपने और परिवार के गुज़ार के लिए हमारे पास अपने अंग बेचने के अलावा कोई रास्ता शेष नही, ये कांग्रेस सरकार ने अतिथिविद्वानो को कहीं का नही छोड़ा है।
उच्च शिक्षा विभाग ने ली एक और मासूम की जान
अतिथिविद्वान नियमितीकरण संघर्ष मोर्चा के मीडिया प्रभारी डॉ जेपीएस चौहान एवं डॉ आशीष पांडेय के अनुसार उच्च शिक्षा विभाग की गलत नीतियों ने एक और मासूम की जान ले ली है। अतिथिविद्वान अभी आप के साथी राजकुमार अहिरवार के इकलौते पुत्र की दुखद मृत्यु के ग़म से उबर भी नही पाया था कि एक और दिल कहलाने वाली घटना घटित हो गई। अतिथिविद्वान संदीप अठ्या के घर एक माह पूर्व पुत्र ने जन्म लिया था। भारी वित्तीय संकट से गुज़र रहे अतिथिविद्वान संदीप अठ्या अपने बीमार पुत्र का इलाज नहीं करवा सके एवं नवजात शिशु उच्च शिक्षा विभाग की संवेदनहीनता की भेंट चढ़ गया। यह अत्यंत दुखद है कि एक के बाद एक असमय मृत्यु की घटनाएं सामने आ रही है। किन्तु उच्च शिक्षा विभाग, उसके मुखिया मंत्री जीतू पटवारी व प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री कमलनाथ अब तक अनजान बने हुए है। जबकि लगभग सभी अखबारों में ये खबर प्रमुखता से प्रकाशित हुई है। अतिथिविद्वानो व उनके परिजनों की मृत्यु से भी दुखद जवाबदार नेताओं की संवेदनहीनता है जो एक के बाद एक मौतों के बाद भी नही जाग रही। अतिथिविद्वानों ने इस विषय को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में भी ले जाने की बात कही है।