विगत दिनों मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने राज्य सेवा प्रारंभिक परीक्षा में पदों में वृद्धि की है जिससे पदों की संख्या 533 हो गई है। प्रारंभिक परीक्षा का विज्ञापन जारी होने के बाद इस परीक्षा के विज्ञापन में कई त्रुटियां सामने आई हैं जैसे कि इस विज्ञापन में पदों में वृद्धि करने के बाद भी ईडब्ल्यूएस कैटेगरी में 10% आरक्षण की व्यवस्था नहीं की गई है बल्कि उसके स्थान पर 6% ही आरक्षण दिया गया है जबकि ओबीसी कैटेगरी में यह आरक्षण 36.50 पहुंच गया है।
सामान्य प्रशासन मंत्री ने कहा था, निर्धन स्वर्ण उम्मीदवारों को 10% आरक्षण देंगे
हालांकि सामान्य प्रशासन मंत्री ने एक दैनिक समाचार में दिए अपने वक्तव्य में कहा था कि 2 जुलाई से पहले एवं बाद के पदों की गणना करके ईडब्ल्यूएस को 10% का आरक्षण दिया जाएगा जबकि पदों में वृद्धि करने के बाद भी ऐसा नहीं किया गया है। बल्कि रिजर्वेशन ओबीसी कैटेगरी में बढ़ाया गया है जो कि सरकार के प्रस्तावित 27% आरक्षण की सीमा का उल्लंघन करते हुए 36.50 तक पहुंच गया है।
सामान्य अनारक्षित वर्ग के लिए मात्र 24% पद
इस विज्ञापन में कुल 533 पद हो गए हैं जिनमें अनारक्षित पद 132 है जो की कुल पदों का 24.76% होता है। अतः अनारक्षित वर्ग के लिए मात्र 24% पद दिए गए हैं।
पिछड़ा वर्ग को 27% की जगह 36.58% आरक्षण दे दिया
इस विज्ञापन में ओबीसी को 195 पद दिए गए हैं जो कि कुल पदों का 36.58% होता है। अतः मध्य प्रदेश सरकार के प्रस्तावित 27% आरक्षण की सीमा को भी पार कर गया है।
छह विभागों में सभी पद आरक्षित कर दिए
इस विज्ञापन में ईडब्ल्यूएस कैटेगरी को मात्र 36 पद दिए गए हैं जो कि कुल पदों का 6% ही हो रहा है। जबकि नियमों के अनुसार 10% आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था है।
इसके अलावा हम विभाग बार देखें तो 6 विभाग ऐसे हैं जिनमें अनारक्षित वर्ग की श्रेणी में कोई पद नहीं दिया गया है।
जिनमें कनिष्ठ वेतनमान कोषालय अधिकारी के लिए कुल 24 पद हैं जबकि अनारक्षित को कोई पद नहीं दिया गया है।
जिला पंजीयक के लिए एक पद है वह भी अनारक्षित श्रेणी में नहीं है।
मुख्य नगरपालिका अधिकारी (ख) के लिए कुल 10 पद है इसमें भी अनारक्षित वर्ग को कोई पद नहीं दिया गया।
उप पंजीयक की कुल 6 पद है इसमें भी अनारक्षित श्रेणी में कोई पद नहीं है। इसी तरह मुख्य नगरपालिका अधिकारी (ग) एवं वाणिज्य कर अधिकारी विभागों में किया गया है।
MPPSC SSE 2019 का संशोधित विज्ञापन सवर्ण विरोधी है
अतः इस विज्ञापन को देखने पर यही पता चलता है कि सरकार ने इस विज्ञापन को पूरी तरह अनारक्षित विरोधी बनाया है साथ ही आरक्षण नियमों का स्पष्ट तौर पर उल्लंघन किया गया है। सरकार की प्रस्तावित 27% आरक्षण पर भी याचिकाएं लगी है और सरकार से 2 हफ्तों में जवाब भी मांगा गया है इसके बाद भी आयोग ने अपने विज्ञापन में 27% रिजर्वेशन तो दिया ही है साथ में इस सीमा को पार करते हुए 36.58% के स्तर तक भी पहुंचा दिया गया है। अतः मेरा सरकार एवं आयोग से निवेदन है कि इस विज्ञापन को संशोधित किया जाए साथ ही ईडब्ल्यूएस को 10% का आरक्षण दिया जाए एवं ओबीसी को दिए गए 36.58% के आरक्षण को रद्द करते हुए दोबारा से पदों को संयोजित किया जाए अन्यथा मध्य प्रदेश एक ऐसा राज्य होगा जिसमें 533 पद होने के बाद भी अनारक्षित श्रेणी को मात्र 24% पद मिलेंगे यह न केवल नियमों का साफ उल्लंघन है बल्कि योग्यता के साथ भी खिलवाड़ है। योग्यता की अनदेखी करने के कारण ही मध्य प्रदेश पिछड़ा राज्य है।
रानू पाठक, एक अभ्यर्थी