भोपाल। पन्ना जिले की पवई विधानसभा सीट से विधायक एवं भाजपा नेता प्रह्लाद लोधी के खिलाफ कमलनाथ सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका खारिज हो गई। इसी के साथ विधायक प्रहलाद लोधी की सजा पर रोक जारी रहेगी। बता दें कि प्रहलाद लोधी को भोपाल की विशेष न्यायालय से सजा मिलते ही विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता समाप्त कर दी थी। सजा पर रोक लग जाने के बाद सदस्यता बहाल की जानी है। विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी की एक सीट कम करने के लिए कमलनाथ सरकार सुप्रीम कोर्ट तक गई लेकिन हार गई।
2018 के विधानसभा चुनाव में पवई सीट से चुनाव जीते बीजेपी के प्रह्लाद लोधी को भोपाल की विशेष अदालत ने 2 साल की सज़ा सुनायी थी। HC ने अपने फैसले में लोधी की सज़ा पर 7 जनवरी 2020 तक रोक लगा दी थी। इसी दिन इस केस की अगली सुनवाई होना है। भोपाल ज़िला अदालत के फ़ैसले के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने प्रह्लाद लोधी की सदस्यता निरस्त कर दी थी। उनका विधानसभा का अकाउंट भी ब्लॉक कर दिया था।
उसके बाद प्रह्लाद लोधी की विधानसभा सदस्यता का मामला पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट (supreme court) तक पहुंच गया। कमलनाथ सरकार ने एडवोकेट जनरल की ओर से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी। इसमें प्रह्लाद लोधी की सज़ा पर हाईकोर्ट (high court) का स्टे हटाने की अपील की गयी थी। बीजेपी (bjp) ने भी प्रह्लाद लोधी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की थी, ताकि उनका पक्ष भी सुना जाए।
ये है मामला
बीजेपी के पवई से जीते प्रह्लाद लोधी को भोपाल की विशेष अदालत ने 2014 में एक तहसीलदार से मारपीट के मामले में 2 साल की सज़ा सुनायी थी। जनप्रतिनिधित्व कानून के तहत ऐसे जनप्रतिनिधि का निर्वाचन शून्य माना जाता है। विधानसभा अध्यक्ष ने उनकी सदस्यता शून्य घोषित कर दी थी। हालांकि लोधी को इस मामले में जमानत मिल गई और फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए 12 दिसम्बर तक का समय दिया गया था। लोधी विशेष कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ जबलपुर हाईकोर्ट गए थे। हाईकोर्ट ने प्रह्लाद लोधी की सज़ा पर 7 जनवरी 2020 तक स्टे दिया। सज़ा पर स्टे मिलने के बाद लोधी की विधायकी को लेकर कांग्रेस-बीजेपी दोनों में लगातार टकराहट चल रही है। कांग्रेस ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इसमें प्रह्लाद लोधी की सज़ा पर हाईकोर्ट का स्टे हटाने का आग्रह किया गया था।