भोपाल। माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय की इतिहास में दर्ज काली पन्नों में आज एक और पन्ना जुड़ गया। पिछले 15 साल से विचारधारा का अखाड़ा बनी माखनलाल यूनिवर्सिटी अब उस विचारधारा का विरोध करने वालों का अड्डा बन गई है। एक संविदा शिक्षक द्वारा जातिवादी बयान बाजी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वाले 23 छात्रों को यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया।
स्वर्ण जाति, नरेंद्र मोदी, भाजपा और RSS के खिलाफ राजनीति करते हैं दोनों संविदा शिक्षक
बता दें कि माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय में संविदा के आधार पर नियुक्त किए गए शिक्षक दिलीप मंडल एवं मुकेश कुमार मूल रूप से जातिवाद की राजनीति करते हैं। दिलीप मंडल का सोशल मीडिया अकाउंट अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों में असंतोष पैदा करने वाला नजर आता है। पत्रकारिता विश्वविद्यालय में नियुक्ति के बाद दिलीप मंडल मीडिया संस्थानों में जातिवाद के आंकड़े पेश करने में लगे हुए हैं। दिलीप मंडल का कहना है कि भारत के बड़े मीडिया संस्थान ब्राह्मणवादी हैं और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के पत्रकारों को नियुक्त नहीं करते। उनके इसी तरह के जातिवादी ट्वीट के खिलाफ स्टूडेंट्स शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे।
माखनलाल के कुलपति दीपक तिवारी दबाव में
सूत्रों का कहना है कि माखनलाल यूनिवर्सिटी के कुलपति दीपक तिवारी इस मामले में दबाव में है। उन्हें मजबूरी में छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करनी पड़ी। सूत्रों का तो यह भी कहना है कि दिलीप मंडल और मुकेश कुमार की नियुक्ति माखनलाल यूनिवर्सिटी में पढ़ाने के लिए नहीं बल्कि कांग्रेस पार्टी के हिडन एजेंडा को पूरा करने के लिए की गई है। यही कारण है कि दिलीप मंडल खुलेआम वह सब कुछ कर रहे हैं जो यूनिवर्सिटी का संविदा शिक्षक कतई नहीं कर सकता। शायद यही कारण है कि कुलपति दीपक तिवारी भी दिलीप मंडल के विरोधियों के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए मजबूर हैं। बता दें कि इन सभी की नियुक्ति कांग्रेस की योजना के अनुसार हुई है।