आखिर क्यों शिक्षक को बदनाम करने की मुहिम चलाई जा रही है | KHULA KHAT

Bhopal Samachar
जिस ईमानदारी से शिक्षक कार्य करते है वह अन्य विभागों के मुकाबले पारदर्शीे होते हैं। ये जब भी स्कूल जाते है तो घंटी बजा करके पूरे समाज को बताते है कि "हम विद्यालय आ गया है", और जब विद्यालय की छुट्टी होती है तब भी घंटी बजाते है और पूरे समाज को बताता है कि अब छुट्टी हो गई  "हम जा रहे हैं।"  यदि ऐसा और किसी भी विभाग में होता हो तो बताइए ?  फिर भी शिक्षक और शिक्षा विभाग को क्यों संदेह से देखते हुए षड़यंत्र के तहत बदनाम किया जाता है ? शिक्षक जो सबको शिक्षा देता है और जो "अधिकारी, नेता" शिक्षक से ही पढ़ करके आगे बढ़े हैं उनमें से कतिपय शिक्षक की बुराई करने में अपनी बहादुरी मान बैठे हैं, अपमानित शिक्षक से शिक्षा व समाज दोनों को नुकसान हैं। 

आखिर क्यों हथकंडे अपनाकर शिक्षक को बदनाम करने की मुहिम चलाई जा रही है ?  जांच करने भी ऐसे कर्मचारी/अधिकारी भेजे जा रहे हैं जिनका शिक्षा से कोई सीधा जुड़ाव नहीं हैं, न ही उनका स्तर किसी भी रूप में शिक्षक के स्तर से बेहतर है। ये शिक्षकों का खुला अपमान व अक्षम्य शरारत व करतूत होकर आम तौर से शांत व अमन पसंद शिक्षकों को उद्वेलित व उकसावे की कार्रवाई है। शिक्षकों की ईमानदारी व राष्ट्रीयता इससे परिलक्षित होती हैं कि वे सुबह-शाम "भारत माता की जय" बोलते हैं और बुलवाते है अपने शिक्षार्थियो को राष्ट्र-प्रेम व नैतिक शिक्षा के साथ सर्वांगीण विकास से सुसज्जित करते हैं, उनकी कार्यप्रणाली संदेहास्पद कैसे कही जा सकती हैं ? अपवाद को छोड़कर शिक्षक अपना काम पूरी ईमानदारी के साथ करते हैं। इन्हें परेशानी पढ़ने-पढ़ाने से नहीं हैं, परेशानी तो केवल विभागीय व गैर विभागीय आदेशों से हैं जो नित नये दिवस विद्यालय में मनाने, रैलियां निकालने, सर्वे, बोझिल व अनुपयोगी पाठ्यक्रम, "चालू विद्यालय" काल में प्रशिक्षण, धरातल से उठी शिक्षकों की आवाज अनदेखी कर वातानुकूलित कमरों कार्यालयों से अव्यवहारिक फरमान शिक्षा का स्तर रसातल में पहुँचाने के लिए दोषी है । 

विभाग ने ही विभाग को प्रयोगशाला बना दिया है, इसके लिए किसे दोष दें ? शिक्षकों को विद्यालयों में ठहर कर पढ़ाने दिया जाए तो कच्ची मिट्टी रूपी बच्चों को शिक्षा व ज्ञान से पकाते हुए समाजोपयोगी सर्वांगीण विकसित नागरिक समाज को अर्पित किये जा सकते हैं । शिक्षकों की अपेक्षा है कि "समाज व विभाग ससम्मान केवल व केवल पढ़ाने दें, यह आवाज समाज व समुदाय से उठना चाहिए लेकिन जागरूकता का अभाव निराश करता है । ये जिस दिन होगा उस दिन गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का चमत्कार देखने को मिल सकता हैं । शिक्षक निपुण हैं, और जो निपुण नहीं है इसके लिए सरकार की चयन प्रक्रिया व भ्रष्टाचार दोषी है । शिक्षा व शिक्षकों को राजनीति से परे रखा जाना देश व समाज के लिए अत्यावश्यक है ।
पत्र लेखक श्री कन्हैयालाल लक्षकार मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के प्रांतीय उपाध्यक्ष हैं। 9424098237
भोपाल समाचार से जुड़िए
कृपया गूगल न्यूज़ पर फॉलो करें यहां क्लिक करें
टेलीग्राम चैनल सब्सक्राइब करने के लिए यहां क्लिक करें
व्हाट्सएप ग्रुप ज्वाइन करने के लिए  यहां क्लिक करें
X-ट्विटर पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
Facebook पर फॉलो करने के लिए यहां क्लिक करें
समाचार भेजें editorbhopalsamachar@gmail.com
जिलों में ब्यूरो/संवाददाता के लिए व्हाट्सएप करें 91652 24289

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!