इंदौर। इंदाैर-उज्जैन राेड पर दाे पटवारियाें काे राैंदने के बाद बसाें की स्पीड कंट्राेल करने के लिहाज से शनिवार काे हुई बैठक में आरटीओ अरविंद सिंह कुशराम ये नहीं बता पाए कि इस रूट पर कितनी बसाें के परमिट हैं और वे कितने फेरे लगाती हैं। RTO का जवाब था कि शायद 50 बसें हैं और 3 के हिसाब से ये 150 फेरे लगाती हैं। बस ऑपरेटर अशाेक भाटी ने कहा ये गलत कह रहे हैं, इस रूट पर 50 नहीं, 100 बसें हैं और 400 फेरे लगाती हैं। आरटीओ ने यह कहते हुए खुद का बचाव किया कि इस रूट के 90 फीसदी परमिट इंदाैर से जारी हाेते हैं इसलिए उन्हें ज्यादा जानकारी नहीं।
मेला कार्यालय में कलेक्टर शशांक मिश्र की अध्यक्षता में आयाेजित बैठक में एसपी सचिन अतुलकर ने कहा उज्जैन-इंदाैर रूट पर सुबह 6 से रात 12 बजे तक बसें चलती हैं। दाे बार ड्राइवर बदलते हैं। 6 फेरे लगते हैं। तब ये बात भी सामने आई कि ड्राइवरों पर जैसे-तैसे फेरा पूरा करने का दबाव रहता है, इसलिए वे स्पीड में बसें दाैड़ाते हैं। 35 मिनट तक चली बैठक में सभी की बातें सुनने के बाद कलेक्टर मिश्र ने उज्जैन-इन्दौर मार्ग पर हो रही दुर्घटनाओं को रोकने तथा शहर के विभिन्न स्थानों पर यातायात नियंत्रण के उपायाें की प्लानिंग बनाकर देने के लिए एडीएम, एसडीएम, आरटीओ, लोक निर्माण विभाग और डीईओ का संयुक्त दल गठित किया। कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि दल जाे भी प्लानिंग बनाकर देगा, उसे अमल में लाने के लिए 12 दिन बाद फिर बैठक की जाएगी।
उज्जैन-इन्दौर की कुछ बसाें का समय एक साथ और कुछ के शेड्यूल में डेढ़ मिनट का अंतर है। ऐसे में समय-चक्र का नए सिरे से निर्धारण किया जाएगा। परमिटों के बीच के समय को बढ़ाकर दुर्घटनाएं रोकने के प्रयास हाेंगे। परमिट की संख्या सीमित करवाई जाएगी। लंबी दूरी काे छाेड़कर केवल उज्जैन-इंदाैर के 55 किमी के ही परमिट ज्यादा हाेंगे ताे उन्हें कम करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे। उज्जैन आरटीओ यदि इस रूट के परमिट जारी नहीं करे ताे इंदाैर से भी ऐसा ही, इसके लिए अंतर्जिला समन्वय हाेगा। 10 साल में हुई दुर्घटना के हिसाब से जिले के डेंजर जाेन चिह्नित किए जाएंगे। खासकर उज्जैन-इंदाैर रुट के। फिर इनके उपाय किए जाएंगे। सुरक्षित यात्रा के लिए ड्राइवर-कंडक्टर काे क्या करना चाहिए, इसके लिए ट्रेनिंग दी जाएगी। परिवहन में सुधार के लिए जिन बिंदुओं पर स्थानीय स्तर से सुधार हाे सकेगा, किया जाएगा। बाकी में शासन की अनुमति ली जाएगी।
बैठक में ये बात सामने आई कि बसाें काे जल्द रवाना करने व यात्रियाें काे बैठाने के चक्कर में बस ऑपरेटराें ने असामाजिक एजेंटाें व गुंडाें का सहारा ले रखा है। एक-एक बस के लिए पांच-छह गुंडे यात्रियाें काे खींचकर बसाें में बैठाते हैं। मांग उठी कि ऐसे गुंडाें काे बस स्टैंड से हटवाया जाए।
उज्जैन-इंदाैर रूट पर 50 बसें ही हाेंगी और इनके 150 फेरे हाेंगे। हां, इसी रूट से हाेकर गुजरने वाली बसाें काे जाेड़े ताे संख्या 60-65 हाे सकती है, इससे ज्यादा नहीं। सही जानकारी साेमवार काे दे पाऊंगा।
अरविंद सिंह कुशराम, आरटीओ