भोपाल। अयोध्या में भगवान श्रीरामजन्म स्थान पर मस्जिद के कोई प्रमाण नहीं मिले हैं। हमने मंदिर से संबंधित प्राचीन पत्थर बताए। मुस्लिम पक्षकारों को इसके एवज में अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन दे दी। यह कहां का न्याय है। इससे दोनों पक्षों के बीच अंशाति बढ़ेगी। यह बात गुरुवार को राजधानी के पांच दिवसीय प्रवास पर जवाहर चौक स्थित झरनेश्वर मंदिर आश्रम पहुंचे अनंत विभूषित ज्योतिष्पीठाधीश्वर व द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने अयोध्या मामले के फैसले पर कही। उन्होंने कहा कि कल्पना कीजिए कि अयोध्या में पांच एकड़ भूमि पर मस्जिद बनेगी। अजान होगी।
अयोध्या में दो समुदाय को एकत्रित करना, जिनकी पूजा पद्धति आपस में नहीं मिलती, यह तो हमेशा के लिए अशांति हो गई। उन्होंने पांच एकड़ जमीन को लेकर कहा कि मुसलमानों को देश में और कहीं भी जमीन दे दीजिए। मुसलमान भी उस जमीन को स्वीकार नहीं कर रहे हैं, तो उनको जमीन क्यों दे रहे हैं? जबकि इसके पहले एक समझौते में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने सुरक्षा मांगी थी, साथ ही विवादित भूमि से अपना दावा वापस ले लिया था, तो फिर जमीन अयोध्या में ही क्यों दी गई?
रामालय ट्रस्ट को जमीन सौंपे केंद्र सरकार
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार नया ट्रस्ट बनाने की बात कर रही है। तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहाराव ने हमसे ट्रस्ट बनाने के लिए कहा था। चारों धाम के शंकराचार्यों ने ट्रस्ट बनाया है। मामला अदालत में था, तो मंदिर नहीं बन सका। हम चाहते हैं कि जब रामालय ट्रस्ट पहले से बना है, तो उसी को उक्त जमीन सौंप दी जाए।
हमारी मांग है कि रामालय ट्रस्ट मंदिर बनाएगा। केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि यह लोग मंदिर बनाएंगे, यह समझ से परे है। उन्होंने कहा कि जब तक भव्य मंदिर नहीं बन जाता, तब तक रामलला जी को बैठाने एक छोटा सा स्वर्ण मंदिर बनाएंगे। इसका काम शुरू हो गया है। चंदन की लकड़ी के बने सिंहासन पर स्वर्ण पत्थरों को जोड़कर मंदिर का निर्माण किया जाएगा और अब रामलला को पॉलिथीन के नीचे नहीं बैठना होगा।