भाजपा में गुटबाजी: निगम कमिश्नर के खिलाफ निंदा प्रस्ताव नहीं आएगा | GWALIOR NEWS

ग्वालियर। निगमायुक्त संदीप माकिन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लेकर आ रहे भाजपा के पार्षदों और उनकी पार्टी के बीच सहमति नहीं बन सकी। इस वजह से इस बात की आशंका जताई जा रही है कि सोमवार को परिषद की बैठक में निंदा प्रस्ताव पेश ही न हो सके। भारतीय जनता पार्टी के जिलाध्यक्ष ने अभी तक की बैठकों के बाद यह मामला समिति के पास भेज दिया था। मगर समिति के सदस्यों ने ही इसमें विशेष रुचि नहीं दिखाई। 

सदस्यों का मानना है कि जब पार्टी के नेता और जिलाध्यक्ष ही इस प्रस्ताव के लिए सहमति नहीं बना पा रहे हैं तब वे क्यों नगर निगम कमिश्नर से दुश्मनी मोल लेंगे। वैसे भी नगर निगम का कार्यकाल मात्र एक महिने का बचा है। अगले महीने की 9 तारीख को सभी पार्षदों का कार्यकाल समाप्त हो जायेगा। ऐसे में वे निगमायुक्त से बैर लेकर अपनी राजनीति क्यों खराब करेंगे। इतनी कवायद के बाद भी अंतिम फैसला सोमवार को दोपहर की बैठक तक के लिए टाल दिया गया है। इसके बाद परिषद की बैठक होगी।

जिलाध्यक्ष ने निंदा प्रस्ताव पर विचार के लिए 12 सदस्यीय समिति गठित की थी। समिति के प्रमुख सदस्यों का कहना है कि अभी तक पार्टी ने पार्षद दल का नेता ही नहीं चुना है। ऐसे में परिषद में कोई प्रस्ताव लाने के लिए व्हिप कौन जारी करेगा। बिना व्हिप जारी किये पार्षद अपनी मर्जी से पक्ष या विपक्ष में वोट दे सकते हैं और पार्टी भी उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर सकेगी। समिति के प्रमुख सदस्यों का कहना है कि वे 3-4 बार के पार्षद हैं मगर अभी तक पार्टी की इतनी बुरी हालत उन्होंने कभी नहीं देखी है। पांच साल में पार्षद दल का नेता भी नहीं चुना गया है। महापौर विवेक शेजवलकर के सांसद चुने जाने के बाद 6 महीने से अधिक समय होने के बाद भी पार्टी ने उनके स्थान पर किसी को भी परिषद में नियुक्त नहीं किया है। ऐसे में जब इतने लंबे समय से पार्षदों की पीड़ा को पार्टी ने नहीं समझा तब वे भी पार्टी के कुछ नेताओं की इच्छा पूरी करने के लिए निंदा प्रस्ताव लेकर नहीं आयेंगे।

भाजपा पार्टी और पार्षदों के बीच यह लड़ाई नगर निगम के अधिकारियों को फायदा पहुंचाने जा रही है। अधिकांश पार्षद इस बात को लेकर भी नाराज हैं के जब-जब उन्हें पार्टी की मदद की जरूरत पड़ी है तब उनको मदद नहीं मिली है। पार्टी के बड़े नेता अधिकारियों से अपनी दोस्ती बनाते हैं और पार्षदों को उनके खिलाफ लड़वाते रहते हैं। सभापति राकेश माहौर भी निंदा प्रस्ताव के पक्ष में नहीं हैं। इस वजह से भी पार्षद पार्टी का साथ नहीं दे रहे हैं। पार्टी में चल रहे मंडल अध्यक्ष और जिलाध्यक्ष के चुनाव की वजह से भी अधिकांश प्रमुख पार्षद पार्टी के नेताओं से नाराज चल रहे हैं। इस वजह से भी वे जिलाध्यक्ष सहित कुछ बड़े नेताओं का साथ देने से बच रहे हैं।
Tags

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!