Gratuity: सरकारी एवं प्राइवेट कर्मचारियों के लिए ग्रेजुएटी के नियम बदल रही है सरकार | employee news

नई दिल्ली। भारत सरकार देशभर में काम करने वाले सरकारी एवं गैर सरकारी (प्राइवेट) कर्मचारियों के लिए ग्रेजुएटी के नियम बदलने जा रही है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने लोकसभा में सोशल सिक्योरिटी कोड 2019 (social security code 2019) प्रस्तुत कर दिया है। लोकसभा एवं राज्यसभा में भारतीय जनता पार्टी के पास बहुमत होने के कारण कोई संदेह नहीं कि यह पास भी हो जाएगा।

सोशल सिक्युरिटी कोड 2019 की खास बात क्या है

मोदी सरकार ने लोकसभा में सोशल सिक्युरिटी कोड 2019 के तहत ग्रेज्युटी नियमों में संशोधन के लिए प्रस्ताव रखा। इसमें यह शामिल किया गया है कि 'वह कर्मचारी भी ग्रेज्युटी का हकदार होगा जिसने भले ही पांच साल की लगातार सेवाएं ना दी हों लेकिन नौकरी करने के दौरान ही उसकी मौत हो जाए या फिर वह किसी हादसे में विकलांग हो जाए अथवा उसका फिक्स टर्म एम्पलाइमेंट एक्सपायर हो जाए। इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा नोटिफाई किए गए अन्य नियमों के अंतर्गत कर्मचारी आता हो।' लोकसभा में पेश किए गए संशोधित बिल में यह भी कहा गया है कि किसी कर्मचारी की मौत होने के बाद ग्रेज्युटी की राशि नॉमिनी को दी जाएगी। अगर कर्मचारी ने नॉमिनी नहीं बनाया है तो कर्मचारी का कानूनी हकदार हो उसे ग्रेज्युटी प्रदान की जाए।

ग्रेच्युटी की गणना कैसे करें 

एक्ट के तहत आने वाले इम्पलॉई के लिए ग्रेच्युटी निकालने के लिए फॉर्मूला है:
यह फॉर्मूला है: (15 X पिछली सैलरी X काम करने की अ नंबर तुम्हारावधि) भाग 26
यहां पिछली सैलरी का मतलब बेसिक सैलरी, महंगाई भत्ता और बिक्री पर मिलने वाला कमीशन है। 
मान लीजिए किसी व्यक्ति का पिछला वेतन 50,000 रुपये महीना है। उसने किसी कंपनी में 15 साल 8 महीने काम किया। ऐसे में उसकी ग्रेच्युटी होगी:
(15 X 50,000 X 16)/26 = 4.61 लाख रुपये 
इस मामले में काम करने के दिन 15 साल 8 महीने होने के कारण इसे 16 लिया गया है। अगर काम करने के दिन 15 साल 5 महीने होते तो इसे 15 ही माना जाता।

20 लाख तक नहीं लगता है टैक्स

किसी कर्मचारी की ग्रेज्युटी अगर 20 लाख से कम होती है तो उसे इनकम टैक्स से छूट मिलती है। हालांकि अगर किसी मामले में कर्मचारी की ग्रेज्युटी 20 लाख से ज्यादा बनती है तो उसे आयकर चुकाना पड़ेगा।

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