सिंहस्थ घोटाला: भाजपा सांसद जीएस डामोर के खिलाफ FIR | SIMHASTHA SCAM

भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने लोकसभा चुनाव में रतलाम-झाबुआ लोकसभा सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं मुख्यमंत्री के मित्र कांतिलाल भूरिया को शर्मनाक पराजय देने वाले भाजपा नेता एवं सांसद जीएस डामोर के खिलाफ EOW ने मामला दर्ज कर लिया है। श्री डामोर पर उज्जैन सिंहस्थ 2016 में टंकी खरीदी घोटाले का आरोप है।

PHE के चीफ इंजीनियर से सांसद डामोर, इसलिए FIR

EOW ने सिंहस्थ के दौरान टंकी खरीदी में हुई गड़बड़ी के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है। ये गड़बड़ी उसी दौरान हुई थी जब जीएस डामोर इंदौर में पदस्थ थे और पीएचई के चीफ इंजीनियर थे। बाद में जीएस डामोर भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए और लोकसभा का टिकट मिलने के बाद सांसद बने। कमलनाथ सरकार में नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्द्धन सिंह का कहना है टंकी खरीदी में घोटाले के आरोप गंभीर हैं। लिहाजा जी एस डामोर को जांच में सहयोग करना चाहिए।

2019 में नई शिकायत कराई गई, उसके बाद FIR 

यूं तो सिंहस्थ घोटाला कांग्रेस का चुनावी मुद्दा था। मध्य प्रदेश के कई आरटीआई कार्यकर्ताओं ने पुख्ता जानकारी प्राप्त कर शिकायतें की थी परंतु कभी कोई कार्यवाही नहीं हुई। यहां तक कि विधानसभा के भीतर नगरीय प्रशासन विभाग की ओर से यह बताया गया कि सिंहस्थ 2016 के आयोजन में कोई घोटाला हुआ ही नहीं। इसके बाद सितंबर 2019 में एक नई शिकायत कराई गई। शिकायतकर्ता का नाम आत्मजीत सलूजा है। इस शिकायत में केवल टंकी खरीदी घोटाले को फोकस किया गया। इसमें तत्कालीन PHE चीफ इंजीनियर जीएस डामोर, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री, उप और सहायक यंत्री सहित टेंडर कमेटी के पदाधिकारियों पर अनियमितता के आरोप लगाए गए हैं। 12 करोड़ की पानी की टंकी खरीदने के लिए तीन बार टेंडर किए गए और फिर बाज़ार की कीमत से ज़्यादा दाम पर टंकियां ख़रीदी गयीं। शिकायत की जांच की गयी तो तथ्यों की पुष्टि हुई। उसके बाद EOW ने बीजेपी सांसद जीएस डामोर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की।

विधानसभा में क्लीन चिट दे चुकी है सरकार, फिर से जांच क्यों: नरोत्तम मिश्रा

EOW के इस एक्शन के बाद बीजेपी तिलमिला गयी है। बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने EOW की कार्रवाई को राजनीति से प्रेरित बताया है। उनका कहना है सिंहस्थ घोटाले में ​सरकार के मंत्री ही पहले क्लीन चिट दे चुके हैं। एमपी की सियासत में सिंहस्थ घोटाले का मुद्दा बार-बार उठाया जाता है। विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने इसे सदन से लेकर सड़क तक बड़ा मुद्दा बनाया था। बाद में जांच की कई कहानियां भी सामने आयीं लेकिन किसी बड़े रसूखदार पर शिकंजा नहीं कसा। 

डामोर ने झाबुआ में कमलनाथ के मित्र कांतिलाल भूरिया की राजनीति खत्म कर दी थी 

बता दें कि कमलनाथ और कांतिलाल भूरिया दोनों मध्यप्रदेश की ओर से केंद्र में राजनीति करते थे। दोनों ही केंद्रीय मंत्री थे। दोनों के बीच अच्छी मित्रता है। मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जब कमलनाथ मुख्यमंत्री पद के लिए चुनाव प्रबंधन कर रहे थे तब कांतिलाल भूरिया ने भी विधानसभा चुनाव लड़ा। भूरिया को उम्मीद थी कि चुनाव जीतने के बाद आदिवासी होने के कारण उन्हें डिप्टी सीएम का पद मिलेगा लेकिन जी एस डामोर के कारण कांतिलाल को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में एक बार फिर कांतिलाल भूरिया अपनी किस्मत आजमाने आए। जी एस डामोर विधायक थे परंतु अमित शाह ने उन्हें लोकसभा का टिकट दे दिया। एक बार फिर जी एस डामोर ने कांतिलाल भूरिया को चुनाव हरा दिया। झाबुआ विधानसभा उपचुनाव जीतने के बाद कांतिलाल भूरिया बमुश्किल विधायक बन पाए। बताने की जरूरत नहीं कि कांतिलाल भूरिया के लिए जी एस डामोर दुश्मन नंबर वन है।

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