भोपाल। मध्य प्रदेश की राजनीति में सिंधिया विरोधी होना अक्सर फायदेमंद साबित होता है। गुना-शिवपुरी लोकसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया को चुनाव हराकर सांसद बने भाजपा नेता केपी यादव के खिलाफ अब तक FIR नहीं हुई है। सूत्रों का कहना है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कारण अब तक सांसद केपी यादव के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया गया है, जबकि लोकल लेवल पर इसकी पूरी तैयारी हो चुकी थी।
मामला क्या है
सन 2014 में अपने बेटे सार्थक यादव को पिछड़ा वर्ग आरक्षण का लाभ दिलाने के लिए केपी यादव (तब सिंधिया समर्थक कांग्रेस नेता थे) ने अपनी आए 8 लाख रुपए प्रति वर्ष से कम दिखाई थी। जबकि चुनाव घोषणा पत्र के अनुसार उनकी आए 39 लाख रुपए प्रतिवर्ष है। मुंगावली से कांग्रेस विधायक बृजेंद्र सिंह यादव ने इसकी शिकायत एसडीएमसी की थी। जांच के बाद पाया गया कि सांसद केपी यादव ने मिथ्या आय प्रमाण पत्र लगाया है। एसडीएम ने के पी यादव एवं उनके बेटे सार्थक यादव का जाति प्रमाण पत्र निरस्त कर दिया एवं शेष कार्रवाई के लिए फाइल एडीएम के पास भेज दी।
मामला गंभीर है, सांसद का निर्वाचन रद्द हो सकता है
कानून विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसे मामलों में आईपीसी की धारा 466 (दस्तावेज की कूट रचना) एवं 181 (शपथ दिलाने या अभिपुष्टि कराने के लिए प्राधिकॄत लोक सेवक के या व्यक्ति के समक्ष शपथ या अभिपुष्टि पर झूठा बयान) के तहत प्रकरण दर्ज किया जाता है। दोषी पाए जाने पर अधिकतम 7 वर्ष की सजा का प्रावधान है। भारत के निर्वाचन आयोग के अनुसार यदि किसी जनप्रतिनिधि को 2 साल से अधिक की सजा मिलती है तो उसकी सदस्यता समाप्त कर दी जाती है।
सिंधिया के कारण क्यों बच गए केपी यादव
मध्य प्रदेश में सरकार भले ही कांग्रेस की है लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोधी नेताओं को एक स्वाभाविक सरकारी संरक्षण मिलता है। केपी यादव यदि केवल भाजपा नेता होते तो अब तक उनके खिलाफ मामला दर्ज हो चुका होता लेकिन वह सिंधिया विरोधी भाजपा नेता है। इसलिए उन्हें अवसर दिया जा रहा है।