नई दिल्ली। एक विवाहित महिला को अपने पति की झूठी शिकायत करना भारी पड़ गया। ना केवल को झूठी शिकायत खारिज हुई बल्कि कोर्ट ने इसी ग्राउंड पर पत्नी के खिलाफ पति के फेवर में तलाक की डिग्री पारित कर दी। एक छोटी सी गलती ने महिला को तलाकशुदा बना दिया।
मामला झज्जर का है। फैमिली कोर्ट ने महिला की झूठी शिकायत को पति के साथ प्रताड़ना का मामला मानकर तलाक की डिक्री पारित की थी। महिला ने फैमिली कोर्ट के डिसीजन के खिलाफ पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की थी। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने कहा कि निचली अदालत के फैसले में दखल की जरूरत नहीं है और महिला की अर्जी खारिज की जाती है।
इस मामले में पति की ओर से पेश हुए वकील एस के यादव ने बताया कि पति भारतीय वायु सेना में गुजरात में तैनात है। उनका विवाह मार्च 2011 में झज्जर की महिला से हुआ था। इसके बाद वह अपने परिवार को गुजरात ले जाना चाहता था। मगर उसकी सास ने परिवार को साथ ले जाने नहीं दिया। पति ने कहा कि उसकी पत्नी क्रूर स्वभाव की है। वह कर्तव्य का सही ढंग से निर्वाह नहीं कर रही। उसकी पत्नी उसके लिए करवाचौथ का व्रत भी नहीं रखती और उसके परिवार के साथ दिवाली जैसे त्योहार भी नहीं मनाती थी।
इतना ही नहीं जब उसके दोस्त उसके घर आए तो पत्नी ने उनको खाना देने से भी मना कर दिया। एक बार उसने आत्महत्या करने की भी कोशिश की। उन्होने बताया पति पत्नी 2012 से ही अलग रहते है जिसके चलते पति ने 2014 में झज्जर की फैमिली कोर्ट में अपनी पत्नी से तलाक के लिए अर्ज़ी लगाई लेकिन इस दौरान पत्नी ने उसके व उसके परिवार के खिलाफ पुलिस स्टेशन बेरी (झज्जर) में दहेज और अन्य आरोप लगाते हुए एक केस भी दर्ज करवा दिया था। जिसमें वह बरी हो गए है।
पति की दलीलों को सही मानते हुए हाई कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट के मिडिएशन सेंटर की सीनियर वकील रीटा ने कहा कि अक्सर ऐसे मामले आते हैं जहां पत्नी आरोप लगाती है कि पति उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित करते है कई बार यह मामले ग़लत निकलते है लेकिन जो प्रताड़ना पति या उसके परिवार ने झेली होती है इसका समाधान नहीं हो पता इसलिए हाईकोर्ट के इस फ़ैसले में समानता की बात की है। उन्होंने बताया कि रोज़ाना कोर्ट में 80 से 90 प्रतिशत मामले मैट्रिमोनीयल से जुड़े आते है। महिलाओं को विशेष अधिकार मिले हुए है लेकिन उसका दुरूपयोग नहीं करना चाहिए।