नई दिल्ली। कंपनियां अपने कर्मचारियों के साथ अक्सर ऐसा करती है। कर्मचारी के वेतन से प्रोविडेंट फंड का शेयर काट लिया जाता है परंतु कंपनी का शेयर मिलाकर उसे कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के खाते में जमा नहीं कराया जाता। नतीजा कर्मचारी को ब्याज का नुकसान होता है, लेकिन वह इसके खिलाफ आवाज नहीं उठा पाते, क्योंकि मैनेजमेंट का विरोध करना यानी नौकरी खतरे में। परंतु अब ऐसा नहीं हो पाएगा। यदि कंपनी ने बीएफ की रकम निर्धारित तारीख कर्मचारी के खाते में जमा नहीं कराई तो उस पर 10 गुना जुर्माना लगेगा। सरकार ने कोड ऑन सोशल सिक्योरिटीज बिल में ऐसे प्रावधान किए हैं जिससे कर्मचारियों के साथ ऐसा करने वाली कंपनियों पर सख्ती बरती जा सके।
सरकार के पास कर्मचारी संगठनों की तरफ से कंपनियों के बारे में ऐसी कई शिकायतें आई थीं कि कंपनियां कर्मचारी का पीएफ तो काट लेती हैं लेकिन उस रकम को जमा नहीं करातीं। नए कानून में इन्हीं दिक्कतों को दूर किया जाएगा। इसके तहत कंपनियों को कर्मचारियों के पीएफ के बारे में अपनी जानकारी भी दुरुस्त रखनी होगी। नए प्रावधानों के तहत पीएफ न जमा करने या गलत जानकारी देने वाली कंपनियों के खिलाफ लगने वाले जुर्माने को 10 हजार से बढ़ा कर एक लाख रुपये तक कर दिया गया है।
सरकार ने ऐसे लोगों को जेल भेजने का भी प्रावधान किया है। कर्मचारियों के पीएफ की गलत जानकारी देने और रकम न जमा कराने की सूरत में तीन साल तक की जेल का प्रावधान रखा गया है।
नया कानून
* कंपनियों पर एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
* गलत जानकारी देने पर तीन साल तक जेल का भी प्रावधान।