EPFO: पढ़िए 1 जनवरी से कौन कौन से नियम बदल जाएंगे | NEW RULES 1 JAN 2020

नई दिल्ली। एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) नियमों में जल्द ही बड़ा बदलाव होने वाला है। 1 जनवरी 2020 से एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड (EPF) के नए नियम लागू होंगे। केंद्र सरकार के अधीन श्रम मंत्रालय ने इसके लिए एक नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। EPFO ने कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी (सामाजिक सुरक्षा) को देखते हुए यह कदम उठाया है। मौजूदा 6 करोड़ सदस्यों के अलावा करीब 50 लाख अतिरिक्त कर्मचारियों को सोशल सिक्योरिटी देने का फैसला किया गया है। यह उन कर्मचारियों के लिए होगा, जिनका अभी तक पीएफ नहीं कटता है।

कहां लागू होता है EPF नियम?

EPF के नियमों के मुताबिक, प्रोविडेंट फंड वहां लागू होता है, जहां किसी भी संस्थान, फर्म, कार्यालय में 20 या उससे ज्यादा कर्मचारी होते हैं। EPF अधिनियम के तहत ऐसे संस्थानों को ही EPF की सदस्यता दी जाती है। अब केंद्र सरकार ने कर्मचारियों की सोशल सिक्योरिटी देने के मकसद से इसकी सीमा घटाकर 10 कर दी है। आने वाले दिनों में जिन संस्थानों में 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी होंगे, वो संस्थान EPF के दायरे में आएगा।

EPF के दायरे में आने वाले के लिए 10 या उससे ज्यादा कर्मचारियों वाले संस्थानों को एम्प्लॉई प्रोविडेंट फंड एंड मिसलेनियस प्रोविजन एक्ट (Employees’ Provident Fund and Miscellaneous Provisions Act) के तहत खुद को रजिस्टर कराना होगा। फिलहाल, सिर्फ वो ही संस्थान इस एक्ट के दायरे में आते हैं, जहां कर्मचारियों की संख्या 20 या उससे ज्यादा होती है।

2008 में ही मिल चुकी है मंजूरी

इस प्रस्ताव को सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की जुलाई 2008 में हुई 183वीं बैठक में मंजूरी दे दी गई थी लेकिन, अभी तक इसे लागू नहीं किया जा सका था। अब श्रम मंत्रालय को इसकी मंजूरी मिल गई है। नया नियम नए बनाए गए केंद्रीय शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी लागू होगा।

संसद से मंजूरी की जरूरत नहीं

EPFO के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, श्रम मंत्रालय ने इसे लेकर अब नोटिफिकेशन जारी कर दिया है क्योंकि, श्रम कानूनों में संशोधन को संसद से मंजूरी की जरूरत नहीं है। यह संशोधन 1 जनवरी 2020 से लागू किए जाएंगे। दरअसल, कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ESIC) पहले से ही उन संस्थानों पर लागू है, जिनके पास 10 या उससे ज्यादा कर्मचारी हैं। यही वजह है कि EPF के नए नियम से सरकार को सामाजिक सुरक्षा प्रयासों को एकजुट करने में मदद मिलेगी।

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