भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल शहर में रेल की पटरी के पास एक पुलिस अधिकारी की बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके बाद पुलिस की शर्मनाक कार्रवाई का मामला शायद ही कोई भूला हो। भोपाल कोर्ट से इस मामले में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। आरोपियों ने सजा के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की है। आरोपियों ने अपने बचाव में 8 वकीलों की टीम नियुक्त की है। 12 दिसंबर को हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई है। बता दें कि पुलिस ने आरोपियों को झोपड़ियों में रहने वाले आवारा किस्म के लोग बताया था।
पीड़ित छात्रा के पिता का बयान
बता दें कि पीड़िता के माता-पिता पुलिसकर्मी हैं, बावजूद इस मामले में पुलिस प्रशासन के सुस्त रवैये के कारण FIR दर्ज करने में देर हुई थी। हालांकि लापरवाही के चलते हबीबगंज के पूर्व थानाप्रभारी, एमपीनगर के पूर्व टीआई और जीआरपी भोपाल थाने के टीआई को निलंबित किया गया था। इधर, पीड़ित छात्रा के माता-पिता का कहना है कि हाईकोर्ट में आरोपितों ने पैरवी करने के लिए आठ वकील रखे हैं। वहीं जब हम पेशी पर जाते हैं तो विभाग से अवकाश लेना पड़ता है। वकील को उसकी फीस देना पड़ती है। आने-जाने में पैसा और समय दोनों खराब होते हैं, लेकिन न्याय मिलने में लगातार देर हो रही है। आरोपितों के मुकाबले हमारा एक मात्र वकील केस लड़ेगा। ऐसे में आरोपितों को जमानत मिल सकती है।
यूपीएससी की तैयारी कर रही है रेप पीड़िता
जानकारी के मुताबिक पीड़ित छात्रा अब कठोर परिश्रम से यूपीएससी की तैयारी कर रही है। लेकिन, जैसे ही दुष्कर्म मामले की पेशी की बात उसे पता चलती है तो वह परेशान हो जाती है। सवाल उठते हैं कि उसका कसूर क्या था? क्यों दरिंदों को आखिरी सजा नहीं मिल रही।