नई दिल्ली। अनुसूचित जाति एवं जनजाति के शासकीय कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण देने संबंधी याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 2020 का दिन सुनिश्चित किया है। पिछले कुछ दिनों से इस मामले में सुनवाई चल रही थी माना जा रहा है कि अब तेजी से सुनवाई होगी और जल्द ही फैसला सामने आएगा। इस विवाद के कारण मध्य प्रदेश में सभी सरकारी कर्मचारियों के प्रमोशन रुके हुए हैं। हजारों कर्मचारी प्रमोशन का इंतजार करते करते रिटायर हो गए।
सुप्रीम कोर्ट में अजाक्स की तरफ से अपील की गई
प्रमोशन में आरक्षण को लेकर आज दि 10.12.2019 को अजाक्स की अधिवक्ता इंद्रा जयसिंह ने माना मुख्य न्यायधीश के समक्ष कहा कि मप्र के मामले में अनु. जाति/ जनजाति वर्ग की पदोन्नति में क्रीमी लेयर की अवधारणा को पवित्रण मामले में हुए फैसले के अनुसार हटाते हुए पदोन्नतियां दी जावें। जिस पर आरबी राय प्रकरण में अधिवक्ता द्वारा विरोध करते हुए कहा गया कि दोनों प्रकरणों की तुलना नहीं की जा सकती। माना न्यायधीश ने दोनों पक्षों को सुनने के लिए दि 28.01.2020 निर्धारित की। प्रकरण की सुनवाई विगत 15.10.2019 से भिन्न भिन्न कारणों से लगातार टल रही थी। उम्मीद है अब अगले माह से निरंतर सुनवाई शुरू हो सकेगी।
SC-ST क्रीमी लेयर मामले में पुनर्विचार चाहती है केंद्र सरकार
इससे पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि एससी/एसटी समुदाय के क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभों से बाहर रखने वाले 2018 के उसके आदेश को पुनर्विचार के लिए सात सदस्यीय पीठ के पास भेजा जाए। पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने 2018 में कहा था कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के समृद्ध लोग यानी कि क्रीमी लेयर को कॉलेज में दाखिले तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं दिया जा सकता।
इस मुद्दे पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही प्रधान न्यायाधीश बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि एससी/एसटी की क्रीमी लेयर को आरक्षण के लाभ से बाहर रखने या न रखने के पहलू पर दो सप्ताह बाद विचार किया जाएगा।
इसे लेकर समता आंदोलन समिति और पूर्व आईएएस अधिकारी ओ पी शुक्ला ने नई याचिका दायर की थी।एक जनहित याचिका में एससी/एसटी की क्रीमी लेयर की पहचान के लिए तर्कसंगत जांच करने और उन्हें एससी/एसटी की नॉन क्रीमी लेयर से अलग करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।