1 महीने से रोज हो रही थी सांची दूध में यूरिया की मिलावट, क्वालिटी कंट्रोल ने कभी पकड़ा नहीं | BHOPAL NEWS

भोपाल। भोपाल दुग्ध संघ (सांची दूध) का क्वालिटी कंट्रोल विभाग जांच की जद में आ गया है। 11 मील पर पकड़े गए टैंकर के ड्राइवर ने बयान दिया है कि वह पिछले 1 महीने से हर रोज ऐसा ही कर रहे थे। सवाल यह है कि जब 1 महीने से लगातार सांची दूध में यूरिया की मिलावट हो रही थी तो फिर क्वालिटी कंट्रोल ने उसे पकड़ा क्यों नहीं। यह जांच का विषय है कि इस घोटाले में केवल क्वालिटी कंट्रोल के अधिकारी शामिल है या फिर भोपाल दुग्ध संघ का पूरा प्रबंधन।

कैसे होती थी नकली दूध की मिलावट

टैंकर की छत के ढक्कन पर लगी दुग्ध संघ की सील काे ताेड़कर उसमें पाइप डालते थे।
पाइप की मदद से टैंकर से दूध निकालकर 50-50 लीटर की केन में भरा जाता था।
3 हजार लीटर के प्लास्टिक टैंक में गंदे पानी में यूरिया का घाेल बनाते थे।
प्लास्टिक की टंकी में रखे यूरिया के घाेल काे टैंकर में भर दिया जाता था।

क्राइम ब्रांच भोपाल ने टैंकर मालिक योगेंद्र देव पांडे और ड्राइवर फरहान के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोपियों की संख्या बढ़ने की संभावना है। क्योंकि दुग्ध संघ के कर्मचारियों की साठगांठ के बिना मिलावट का लंबा खेल संभव नहीं है। गोरा सांची प्रबंधन ने उज्जैन निवासी योगेंद्र देव के सभी 15 टैंकरों का कांट्रेक्ट खत्म कर संस्था को ब्लैक लिस्टेड कर दिया है। पांडे के भोपाल दुग्ध संघ में 15 टैंकर अनुबंधित थे।

कमिश्नर को मिली शिकायत के बाद छानबीन की गई थी

संभागायुक्त कल्पना श्रीवास्तव को 7 दिसंबर को भोपाल, रायसेन और राजगढ़ रूट पर लगे सांची दूध के टैंकरों से दूध चोरी की शिकायत मिली थी। इसकी जांच के बाद 11 दिसंबर को तीनों जिलों के कलेक्टर को निर्देश दिए गए थे।

रोजाना 6 हजार ली. दूध में मिलावट 

क्राइम ब्रांच के एएसपी निश्चल झारिया ने बताया कि पुलिस को तीन अलग-अलग रूट्स पर तीन टैंकर्स से रोजाना 6 हजार लीटर दूध चोरी करके निकाले जाने की सूचना मिली है। इसकी जांच की जा रही है।

घोटाले को दबाने की कोशिश करते CEO

हमने जांच कमेटी बना दी है। हालांकि अब तक की गई दूध की जांच के दौरान यूरिया मिलाए जाने संंबंधी रिपोर्ट लैब से नहीं मिली हैं। रविवार को पकड़े गए दूध की जांच खाद्य विभाग भी करेगा।
डॉ. केके सक्सेना, सीईओ भोपाल दुग्ध संघ

AGM क्वालिटी कंट्रोल की सफाई

टैंकर के दूध की लैब में जांच की जाती है। पहले कभी भी दूध के सैंपल में यूरिया मिले होने की जानकारी सामने नहीं आई है। ऐसा होता, तो हम पहले ही कार्रवाई शुरू कर देते।
श्याम गुप्ता, एजीएम क्वालिटी कंट्रोल भोपाल दुग्ध संघ
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