भोपाल। भारत के इतिहास में किसी भी पुलिस अधीक्षक के लिए सबसे शर्मनाक खबर आ रही है। एक पुलिस इंस्पेक्टर ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में एक फर्जी पुलिस थाना खोल लिया, मजदूरी करने वाले चार लोगों को बतौर आरक्षक भर्ती कर लिया और थाने का संचालन करने लगा। एसपी नवनीत भसीन को जब इसकी जानकारी मिली तो उन्होंने विधिवत जांच कराई। जांच में थाना फर्जी पाया गया बावजूद इसके कोई कार्यवाही नहीं हुई। अब व्यापम घोटाले के व्हिसिल-ब्लोअर ने इस मामले को कोर्ट में ले जाने का ऐलान किया है।
फर्जी पुलिस थाने में रिपोर्ट लिखी जाती थी, आरोपी हिरासत में लिए जाते थे
एक रिपोर्ट के मुताबिक, ग्वालियर में 4 मजदूर पुलिस की वर्दी में घूम रहे थे और ग्वालियर स्थित फोनी पुलिस थाने में बैठकर पुलिसकर्मी की तरह व्यवहार करते थे। इस गैंग ने न सिर्फ स्थानीय लोगों से पैसे वसूले बल्कि लोगों की शिकायतें भी दर्ज कीं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के औचिक निरीक्षण से इस गैंग का पर्दाफाश हुआ और एक डीएसपी स्तर के अधिकारी ने 2018 में मामले की जांच की। मध्य प्रदेश पुलिस ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह गुप्त रखा था।
दिसंबर 2017 में फर्जी पुलिस थाने का खुलासा हो गया था
गैंग के भंडाफोड़ के बारे में व्यापम के मुखबिर आशीष चतुर्वेदी ने बताया कि, एक अधिकारी दिसंबर 2017 में ग्वालियर मेला ग्राउंड में व्यवस्था देख रहे थे, तभी खाकी वर्दी में चार लोगों ने उन्हें सलाम किया। जिस तरीके से उन्होंने सलाम किया, वह अधिकारी को कुछ संदेहास्पद लगा। इसके बाद अधिकारी ने चारों से उनका परिचय पूछा, बदले में उन्हें जो जवाब मिला उसे सुन वे हैरान रह गए। दो ने बताया कि वे मजदूर हैं, एक ने खुद को पेंटर और एक ने सब्जीवाला बताया। इसके बाद एसपी नवनीत भसीन ने जांच के आदेश दिए।
जांच रिपोर्ट में खुलासा: पुलिस इंस्पेक्टर ने फर्जी थाना खोला था
आशीष ने बताया, 'रिपोर्ट साफ है। यह बताती है कि चारों आरोपी एक इंस्पेक्टर के निर्देश में पुलिस का रूप धरे हुए थे। जांच में यह भी सामने आया कि इंस्पेक्टर एक पुलिस थाने का संचालन कर रहा था जो पुलिस रिकॉर्ड में मौजूद ही नहीं है। अपनी रिपोर्ट में अधिकारी ने वसूली और भ्रष्टाचार की जांच की सलाह भी दी थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।