हनी ट्रैप: देश के परमाणु ठिकानों तक पहुंच गई थी श्वेता विजय जैन | NATIONAL NEWS

भोपाल। मध्य प्रदेश का हनीट्रैप मामला अब रंगरेलियां और भ्रष्टाचार से बढ़कर राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय बनता नजर आ रहा है। खबर आ रही है कि हनी ट्रैप मामले में गिरफ्तार की गई श्वेता विजय जैन की पहुंच देश के परमाणु ठिकानों तक भी थी। वह कुछ बड़े अधिकारियों के संपर्क में थी और एक फर्म के नाम से माल सप्लाई भी कर रही थी। 

इस मामले में भी उच्च स्तरीय पड़ताल चल रही है

दोपहर मेट्रो समाचार पत्र की खबर के मुताबिक मध्य प्रदेश के हनीट्रैप प्राइवेट में अधिकारियों को केवल ब्लैक में भी नहीं किया बल्कि केन्द्रीय उपक्रमों के आला अधिकारियों को फंसा कर अपने उत्पादों की सप्लाई ऐसे प्रतिष्ठानों में की है, जहां पर केन्द्रीय गुप्तचर ब्यूरो की हरी झंडी के बिना परिंदा भी पर नहीं मार सकता। केन्द्र सरकार के संज्ञान में यह मामला आने के बाद गुपचुप तरीके से उच्च स्तरीय पड़ताल चल रही है। 

तारापुर और कुडनकुलम परमाणु संयंत्रों को माल सप्लाई किया

बताया जा रहा है कि श्वेता जैन की कंपनी बूप टेप, माइका टेप, सिंगल साइडेड क्लोथ टेप, सरफेस प्रोटेक्शन टेप आदि की सप्लाई करती है, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि श्वेता विजय जैन की इस कंपनी ने न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन आफ इंडिया में घुसपैठ करके भार​त के तारापुर और कुडनकुलम परमाणु बिजली संयंत्रों को माल की सप्लाई की है। 

न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन के चेयरमैन पर संदेह 

केन्द्रीय जांच एजेंसी के राडार पर न्यूक्लियर पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और एमडी एके शर्मा भी हैं, जिनकी इलेक्ट्रोनिक इंजीनियरिंग की शिक्षा दीक्षा भोपाल के मौलाना आजाद टेक्नालाजी संस्थान में हुई है। संदेह यही है कि शर्मा के जरिए ही श्वेता ने अपने उत्पाद न्यूक्लियर संयंत्रों में खपाए। एट एल्थी ने 13 जुलाई 2017 से 26 फरवरी 2019 के बीच नौ बार टेप की सप्लाई की है। केन्द्र सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए यह पड़ताल करा रही है कि इस कंपनी को सप्लाई आर्डर करने के पूर्व केन्द्रीय गुप्तचर ब्यूरो से क्लीयरेंस ली गई थी या नहीं। यदि ली तो यह हरी झंडी किसने दी। 

एक बड़ा रेलवे अधिकारी भी हनीट्रैप में फंस चुका का

श्वेता विजय जैन की कंपनी ने दिल्ली में अपने पंख फैलाते हुए कोटेशन के आधार पर रेलवे में सप्लाई की। 30 नवंबर 2017 से लेकर 17 जनवरी 2019 तक उसकी कंपनी को छह आर्डर दक्षिण मध्य रेलवे से मिले हैं। दिल्ली में रेलवे मुख्यालय से कंपनी और उसकी कर्ताधर्ता श्वेता जैन के कनेक्शन जोड़ने में भोपाल में मंडल रेल अधीक्षक रह चुके एक अफसर का भी हाथ है, जो अब बड़े ओहदे पर दिल्ली में है। रेलवे बोर्ड के शीर्षस्थ अफसर तक श्वेता की पहुंच उसी के जरिए बनी। 

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