भोपाल। पन्ना जिले की पवई विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के सजायाफ्ता विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता का मामला अब और पेचीदा हो गया है। पिछले करीब 1 महीने से यहां वहां बचते-बचाते घूम रहे विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने अंततः नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव को मिलने का समय दिया। इस मुलाकात के बाद स्पष्ट हो गया कि विधानसभा अध्यक्ष अपने फैसले को वापस लेने के मूड में नहीं है।
जो न्याय संगत होगा वही काम करेंगे: विधानसभा अध्यक्ष
प्रह्लाद लोधी की सदस्यता शून्य घोषित करने के बाद विधान सभा अध्यक्ष एन पी प्रजापति से मिलने शुक्रवार को नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव पहुंचे। दोनों के बीच तकरीबन 20 मिनट मुलाक़ात चली। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने न्याय संगत काम करने की बात कही। वहीं नेता प्रतिपक्ष ने कहा- वो अगले महीने दिसंबर में हो रहे शीत सत्र में प्रह्लाद लोधी को लेकर विधानसभा जाएंगे।
विधायक की सदस्यता समाप्ति और बहाली का नियम
दि रिप्रेजेंटेशन ऑफ दि पीपुल एक्ट 1951 की धारा 8(3) में स्पष्ट है कि यदि किसी जनप्रतिनिधि को दो साल या इससे अधिक सजा हुई है तो वह अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा। सिर्फ दो साल से कम सजा मिलने पर ही अपील, सुनवाई और फैसला होने तक सदस्यता बरकरार रहती है। इसका प्रावधान 8 (4) में है। इसमें 30 से लेकर 60 दिन का वक्त अपील के लिए मिलता है।
भाजपा का आरोप
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा-राजनीतिक दुर्भावना के कारण यह फैसला लिया गया है। विधानसभा अध्यक्ष का यह निर्णय अलोकतांत्रिक और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के विरुद्ध है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि विधानसभा अध्यक्ष को किसी भी विधायक की सदस्यता समाप्त करने का अधिकार नहीं है। यह अधिकार केवल राज्यपाल के पास सुरक्षित है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का प्रतिनिधिमंडल कई बार इस मामले में राज्यपाल से भी मुलाकात कर चुका है।
जानिए पूरा मामला
2018 में पवई सीट से विधान सभा चुनाव जीते प्रह्लाद लोधी सहित 12 लोगों पर 2014 में अवैध रेत खनन रोकने गए रैपुरा तहसीलदार के साथ मारपीट का केस चल रहा था। भोपाल की विशेष अदालत ने उन्हें दोषी पाते हुए 2 साल की सज़ा सुनायी। विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति ने कोर्ट के इस फैसले के साथ ही आरोपी से अपराधी बने भाजपा विधायक प्रहलाद लोधी की सदस्यता शून्य घोषित कर दी थी। बाद में हाईकोर्ट ने लोधी की अपील को मंजूर करते हुए सजा पर रोक लगा दी। भाजपा का कहना है कि हाई कोर्ट से स्टे मिलने के कारण सदस्यता बहाल होनी चाहिए। जबकि कांग्रेस का कहना है कानून में ऐसा कोई प्रावधान ही नहीं है।