भोपाल। शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के एक ऐसे नेता है जो हर दबाव के बावजूद सुर्खियों में बने रहते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह पिछले कुछ समय से शिवराज सिंह को पीछे धकेलने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं। पार्टी में शिवराज सिंह का दबदबा कम हो रहा है लेकिन बीते रोज मध्य प्रदेश के राज्यपाल लालजी टंडन शिवराज सिंह के घर लंच पर जाकर उनके नंबर बढ़ा दिए।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राज्यपाल लालजी टंडन को भोजन पर आमंत्रित किया था। राज्यपाल ने ना केवल उनका आमंत्रण स्वीकार किया बल्कि उनके घर पर 2 घंटे तक समय बिताया। इसके साथ ही प्रदेश की सियासत में नई चर्चाएं शुरू हो गई हैं। कांग्रेस के नेता इस मामले को अपने चश्मे से देख रहे हैं परंतु भाजपा की गुटबाजी में यह आयोजन काफी महत्व रखता है। शिवराज सिंह ने एक बार फिर साबित किया कि वह मध्य प्रदेश के सभी भाजपा नेताओं में सबसे ज्यादा प्रभावशाली है। वैसे भी इन दिनों शिवराज सिंह का वक्त अच्छा चल रहा है। उज्जैन महाकुंभ की महादशा से तो पहले ही बच निकले थे अब नर्मदा प्लांटेशन के कालसर्प योग से भी सुरक्षित बाहर निकल आए हैं।
लंच पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
राज्यपाल के लंच को लेकर राजनीतिक गलियारे में सियासी चर्चाएं भी होने लगी हैं। कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल का कहना है कि राज्यपाल बीजेपी के वरिष्ठ नेता के साथ आरएसएस के कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने शिवराज के साथ लंच कर अपना धर्म निभाया है। हालांकि राज्यपाल एक संवैधानिक पद है और किसी पार्टी के नेता के घर जाने पर सियासी चर्चा तो होगी। उन्होंने आरोप लगाया, 'शिवराज सरकार गिराने के लिए राज्यपाल से कह रहे हैं, लेकिन बहुमत की वजह से ऐसा होगा नहीं। पीएम मोदी शिवराज से नाराज हैं और कहीं इस लंच के बाद राज्यपाल को हटा दिया न जाए।'
बीजेपी ने कांग्रेस को दिया जबाव
कांग्रेस की तरफ से आए बयान पर बीजेपी ने पलटवार किया है। बीजेपी विधायक मोहन यादव ने कहा कि कांग्रेस छींटाकशी करना बंद करे। राज्यपाल किसी के भी बुलावे पर जा सकते हैं, इस पर किसी तरह की राजनीति नहीं करनी चाहिए। जो नेता इस पर राजनीति कर रहे हैं, सवाल उठा रहे हैं, उन नेताओं को कांग्रेस को डांटना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता अपनी मर्यादा भूल रहे हैं। राज्यपाल को लेकर सवाल खड़े नहीं करना चाहिए।
इसलिए हो रही सियासत
राज्यपाल के लंच को लेकर सियासत के पीछे प्रह्लाद लोधी और निगमों का बंटवारा, मुख्य वजह बताई जा रही है। दरअसल, प्रदेश की राजनीति में इस समय ये दोनों मामले गर्माए हुए हैं। बीजेपी के तमाम बड़े नेता कई दौर की मुलाकात राज्यपाल से कर चुके हैं। वहीं इन नेताओं ने कई बार कमलनाथ सरकार को गिराने संबंधी बयान भी दिया है। ऐसे में राज्यपाल के शिवराज के बंगले पर लंच करने को लेकर सियासी गलियारों में चर्चा लाजिमी है। आरोप है कि कई मुद्दों को लेकर शिवराज ने राज्यपाल के साथ अनौपचारिक चर्चा की है। ऐसे में जबकि प्रदेश की सत्ताधारी और प्रमुख विपक्षी पार्टी के बीच टकराव के हालात बने हुए हैं, राज्यपाल का शिवराज के घर लंच करना, प्रदेश की राजनीति को लेकर सियासी सवाल तो उठाता ही है।