भोपाल। पंद्रह साल बाद सत्ता में आई कांग्रेस पार्टी को जिलों में कार्यालय के लिए मुफ्त में जमीन (Free land to District Congress) नहीं मिलेगी। जिला इकाइयों को पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में राजनीतिक दलों को जमीन देने के लिए बनाए गए नियमों के हिसाब से जगह दी जाएगी, यानी जमीन की कीमत की 10 फीसदी राशि जमा करने के बाद ही भूमि आवंटन की प्रक्रिया शुरू होगी।
प्रदेश कांग्रेस संगठन ने मुख्यमंत्री कमलनाथ ( Chief Minister Kamal Nath) से जिला कार्यालयों को जमीन उपलब्ध कराने के बारे में चर्चा की थी, जिस पर उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि राजनीतिक दलों को जमीन आवंटन पूर्व में तय नियमों के हिसाब से ही किया जाए। प्रदेश के 63 संगठनात्मक जिलों में कांग्रेस पार्टी के पास करीब एक दर्जन जिलों में ही उनके भवन हैं या कार्यालय के लिए जमीन आवंटित की गई गई है। बकाया जिलों में पार्टी कार्यालय किराए के भवनों में चल रहे हैं। कांग्रेस पार्टी इन जिलों में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए कार्यालय के लिए भवन चाहती है, ताकि इन जिलों में पार्टी पदाधिकारी जरूरी बैठकें आयोजित कर संगठन को मजबूत कर सकें।
प्रदेश कांग्रेस ने जिला इकाइयों से दो माह पहले उनके भवन न होने की स्थिति में कार्यालय के लिए जगह आवंटन किए जाने की जानकारी मांगी थी। फिलहाल देवास जिले में भवन बनाए जाने की जिम्मेदारी मंत्री सज्जन सिंह वर्मा व कटनी में जिला अध्यक्ष मिथलेश जैन को सौंपी है। कांग्रेस के इंदौर, ग्वालियर, उज्जैन, सीहोर, उज्जैन, खंडवा, बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, बालाघाट व सागर जिले में ही अपने कार्यालय हैं।
नियमों में यह भी होगा बदलाव... भवनों को आवंटित की जाने वाली जमीन को कोई पदाधिकारी बेच नहीं सकेंगे। इसके लिए एआईसीसी और पीसीसी के पदाधिकारियों की एक समिति गठित की जाएगी। संयुक्त रूप से जब तक इस समिति की सहमति नहीं होगी जमीन या भवन की बिक्री नहीं हो सकेगी। साथ ही जमीन आवंटन की जो रजिस्ट्री होगी, उसमें जिलाध्यक्ष और उस समय पद पर जो व्यक्ति होगा उसके नाम से नामांतरण की प्रक्रिया होगी।