सहायक प्राध्यापकों के रिक्त पदों पर निःशक्त उम्मीदवारों की नियुक्ति जरूरी है | MP ASST PROF RECRUITMENT

Bhopal Samachar
डाॅ दिनेश कुमार सिंह शम्भूरतना। न्याय की उम्मीद में पूर्व चयनित दिव्यांग सहायक प्रध्यापक दिनांक 06-11-2019 आयुक्त निःशक्तजन मुलाकात की ज्ञापन सौंपकर अवगत कराते हुये बताया कि सामान्य प्रशासन विभाग, मध्य प्रदेश के आदेश का पालन करने हेतु नि:शक्तजनों के लिये आरक्षित पदों की पूर्ति हेतु कभी भी उच्च शिक्षा विभाग ने विशेष भर्ती अभियान नहीं चलाया। जिससे दिव्यांग सहायक प्रध्यापक की भर्ती विगत वर्ष में नहीं सकी। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के कार्यकाल में 6% आरक्षण दिव्यांग अभ्यर्थियों मिला (आदेश दिनांक 30-5-1997 सामान्य प्रशासन विभाग, मध्य प्रदेश)। 19-8-2019 के संशोधित विज्ञापन के बाद विभिन्न विषयों में 91 दिव्यांगजन श्रेणी पद खाली हैं जिन पर 34 दिव्यांगजनों को उनके विषयों समायोजित किया जा सकता है। 

उच्च शिक्षा विभाग ने रोस्टर दिया था, उच्च शिक्षा विभाग ने यू.आर., एससी, एसटी, ओबीसी के कुल रिक्त पदों का व विज्ञापित पदों का ब्यौरा दिया पर उसमें दिव्यांगजनों के तीनों श्रेणीयों (अस्थिबाधित ,दृष्टिबाधित ,श्रवणबाधित) का ब्यौरा नहीं दिया (नि:शक्तजन अधिनियम 2017 धारा 11 के अनुसार)। जिसके कारण दिव्यांग सहायक प्रध्यापक के रिक्त पदों की पूर्ण जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी। सहायक प्रध्यापक परीक्षा 2017 में दिव्यांगजनों के बैकलॉग और  सेवानिवृत्ति /पदोन्नति( सहायक प्रध्यापक दिव्यांग श्रेणी) के पद कैरीफारवर्ड पद है जो पूर्व में दिव्यांग उम्मीदवारों के न मिलने के कारण और भर्ती नहीं होने के कारण रिक्त थे। जिसपर 6% आरक्षण नही लगता हैं। 

नि:शक्तजन अधिनियम 2017 धारा 12  के अनुसार नि:शक्तजनों के लिये आरक्षित पदों का  इंटरचेंज नहीं किया जिसके कारण चयनित दिव्यांग  बाहर हुये हैं जिनको समायोजित किया जा सकता है। 19/08/2019 के संसोधन विवरण में 43 अतिरिक्त पदों का श्रजन कर पूर्व में चयनित आंबेडकर विश्वविद्यालय महु (इंदौर) के उम्मीदवार बाहर न हो उनके साथ न्याय किया तथा समायोजित किया,परन्तु केवल 34 दिव्यांगजनों नवीन चयन सूची से उच्च शिक्षा विभाग ने बाहर कर दिया है|यदि उच्च शिक्षा विभाग चाहे तो पूर्व में चयनित विभिन्न श्रेणी के दिव्यांग उम्मीदवारों के अतिरिक्त पदों का श्रजन कर नवीन चयन सूची में समायोजित किया जा सकता है,ताकि पूर्व में चयनित आंबेडकर विश्वविद्यालय महु के 43 चयनित उम्मीदवारों की तरह दिव्यांगजनों के साथ भी न्याय होता। 

उच्च शिक्षा विभाग के पूर्व अधिकारी की गलती परिणाम दिव्यांगो को भुगतना पड़ा,जो एक वर्ष से चयनित होने  व दस्तावेज सत्यापन के बाद नियुक्त का इंतजार कर रहे थे। आज वे मानसिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? जबकि शासन के पास दिव्यांगजन श्रेणी में कई पद रिक्त हैं, जिन पर दिव्यांगजनों को समायोजित किया जा सकता  है ।इन दिव्यांग अभ्यर्थियों ने कठिन परिश्रम करके मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा सहायक  प्रध्यापक परीक्षा 2017 में सफलता प्राप्त की,जिसके विभाग विभाग द्वारा इनके समस्त दस्तावेजों को भोपाल में वेरीफिकेशन भी कराया गया। पूर्व सरकारों के निर्देश पर पहले भी दिव्यांग अभ्यर्थियों समायोजन किया गया है। अब इस संदर्भ ज्ञापन 06-11-2019 आयुक्त निःशक्तजन की आयुक्त उच्च शिक्षा से नियमानुसार कार्यवाही और प्रतिवेदन की मांग की है। इस संदर्भ  में 15-11-2019 को आयुक्त निःशक्तजन द्वारा आयुक्त उच्च शिक्षा पत्र भेजा गया है।

दिव्यांगजन मानसिक,सामाजिक और आर्थिक रूप से प्रताड़ित हैं।मध्यप्रदेश नि:शक्तजन अधिनियम 2017 पालन कर न्याय दें। पूर्व में चयनित आंबेडकर विश्वविद्यालय महु के 43 चयनित उम्मीदवारों की तरह 34 पूर्व चयनित दिव्यांगजनों समायोजित किया जा सकता है। 
डाॅ दिनेश कुमार सिंह शम्भूरतना, समाजशास्त्र,(दृष्टि बाधित)
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