भोपाल। राज्य शिक्षा केंद्र के नित नए प्रयोगों से प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था वेंटिलेटर पर पहुंचने की स्थिति में आ चुकी है, क्योंकि पढ़ाई के हिस्से का समय रोज-रोज जारी होने वाले आदेशों के क्रियान्वयन में जाने के कारण शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है। राज्य शिक्षा केंद्र की उपयोगिता पर शिक्षकों और शिक्षाविदों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए है, सर्व शिक्षा अभियान के शुरुआती दौर में है शिक्षा केंद्र की उपयोगिता इसलिए भी थी कि प्रदेश भर में भौतिक संसाधन जुटाना पहली प्राथमिकता थी, लेकिन योजना के पूरे होते ही राज्य शिक्षा केंद्र की उपयोगिता लगभग समाप्त हो चुकी है।
जानकारी अनुसार राज्य शिक्षा केंद्र के ऊल-जुलूल प्रयोगों से विगत वर्षों में न केवल सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या घटी है बल्कि लगातार छात्र संख्या घटने से प्रदेश के लगभग 31000 से अधिक सरकारी स्कूल या तो आसपास के स्कूलों में मर्ज कर दिए गए या स्कूल पूरी तरह बन्द कर दिए गए है। शिक्षकों और छात्रों को भदवास करने वाली शिक्षा व्यवस्था से त्रस्त शिक्षक प्रतिनिधियों ने अब राज्य शिक्षा केंद्र की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए राज्य सरकार से इसकी उपयोगिता की समीक्षा की मांग शुरू कर दी है।
इनका कहना है
राज्य शिक्षा केंद्र की उपयोगिता प्रदेश के स्कूलों में भौतिक संसाधन जुटाने तक थी, अब राज्य शिक्षा केंद्र की प्रदेश में कोई आवश्यकता नहीं है। सरकार को सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान का विलय कर समग्र शिक्षा अभियान को शत प्रतिशत प्रदेश मी लागू चाहिए।
सुरेशचंद्र दुबे प्रांत अध्यक्ष समग्र शिक्षक संघ
सरकार यदि सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के विलय कर समग्र शिक्षा अभियान को लागू करती है तो सर्वशिक्षा में लगा हुआ काफी कुछ अमला स्कूलों को मिलने से ना केवल स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति होगी बल्कि अनावश्यक प्रयोग बन्द होने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था भी सुधरेगी इससे सरकार का आर्थिक अपव्यय भी रुकेगा।
मुरारी लाल सोनी कर्मचारी नेता
इधर प्रतिनियुक्ति पर भी सवाल
सर्वशिक्षा अभियान में जनशिक्षक, बीएसी जैसे प्रतिनियुक्ति के पदों पर नियुक्ति के लिए जारी नोटिफिकेशन पर आपत्ति लेते हुए समग्र शिक्षक संघ ने प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा विभाग और आयुक्त राज्य शिक्षा केंद्र को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है, समग्र शिक्षक संघ पत्र में शासन से पूछा है कि मध्यप्रदेश में बीएसी और सीएससी जैसे प्रतिनियुक्ति के पदों के लिए वर्तमान में 50/52 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा निर्धारित है, जबकि सर्व शिक्षा अभियान जो कि केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजना है। जिसमें देश के किसी भी राज्य में सर्वशिक्षा के प्रतिनियुक्ति के पदों पर आयु का बंधन लागू नहीं है, तो मध्यप्रदेश में किस नियम के तहत आयुवंधन लागू कर योग्य अनुभवी शिक्षकों को उपेक्षित किया जा रहा है। संगठन ने इसे सर्व शिक्षा अभियान नीति का उल्लंघन बताते हुए शासन से सर्व शिक्षा अभियान के सभी प्रतिनियुक्ति के पदों पर नियम विरुद्ध लागू किया गया। आयु बंधन समाप्त करते हुए अनुभव और योग्यता के आधार पर शिक्षकों को प्रतिनियुक्ति के समान अवसर दिए जाने की मांग उठाई है, संगठन ने चेतावनी दी है कि यदि विभाग संगठन की आपत्ति पर तत्काल विचार नहीं जारी नोटिफिकेशन तत्काल वापिस नहीं लेता है तो संगठन प्रतिनियुक्ति के नीति विरुद्ध प्रावधानों को न्यायालय में चुनौती देगा।