इंदौर। आयकर विभाग ऑफिसर (Income Tax Inspector) को लोकायुक्त पुलिस ने शुक्रवार को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा। आरोपित एक फैक्टरी संचालक को उसके खाते में हुए बड़े लेनदेन का हवाला देकर 10 लाख की पैनल्टी लगाने के लिए धमका रहा था और इसके सेटलमेंट के लिए दो लाख रुपए मांग रहा था। पकड़े जाने पर उसने टीम के सामने फरियादी को पहचानने से ही इनकार कर दिया और बहाने बनाने लगा। टीम ने उसकी पैंट भी उतरवा दी।
यह है पूरा मामला
लोकायुक्त डीएसपी प्रवीणसिंह बघेल ने बताया कि आरोपित को नाम महाधिहोम तत (Mahadhihom tat) है। भगतसिंह नगर निवासी राजेश कुशवाह (Rajesh Kushwaha) ने गुरुवार को शिकायत की थी कि निरीक्षक तत उसे चार माह से परेशान कर रहा है। आरोपित उससे कह रहा है कि उसके खाते से वर्ष 2017 में बड़ा लेनदेन हुआ है। इस पर 10 लाख की पैनल्टी लग रही है। इससे बचना है तो दो लाख रुपए देने पड़ेंगे। इसके बाद हमने गुरुवार को ही राजेश को रिकॉर्डर लेकर भेजा जिसमें आरोपित की आवाज रिकॉर्ड कर ली गई।
शुक्रवार को राजेश पहली किस्त के 20 हजार रुपए लेकर आयकर भवन में निरीक्षक के ऑफिस में गया, लेकिन वह सीट पर नहीं था। फोन करने पर निरीक्षक ने राजेश को नीचे कैंटीन में बुलवाया। बघेल ने बताया कि वहां हमारी टीम के निरीक्षक राजकुमार सराफ और राहुल गजभिये ने उसे पकड़ लिया। उसने रिश्वत के रुपए लेकर पैंट की जेब में रख लिए थे।
डीएसपी के मुताबिक राजेश के दोस्त अशोक विश्वकर्मा के बागली (जिला देवास) में एक टाउनशिप में 21 प्लॉट थे। इन पर लोन नहीं मिलने से अशोक ने ये प्लॉट राजेश के नाम कर दिए। कुछ दिन बाद राजेश ने प्लॉट वापस अशोक के नाम पर कर दिए। प्लॉट की कीमत करोड़ों रुपए थी, इसलिए राजेश का खाता आयकर विभाग की स्क्रूटनी में आ गया। इसके बाद निरीक्षक उसे परेशान करने लगा।
राजेश ने बताया कि मेरी सांवेर रोड पर फैक्टरी है। अशोक से मैंने केवल प्लॉट नाम पर करवाए थे, इसमें कोई नकदी लेनदेन नहीं हुआ। यह बात निरीक्षक को पता चल गई। उसने चार माह पहले मुझे कॉल कर बताया कि तुम्हारी शिकायत हुई है, आकर मिलें। वहां उसने सेटलमेंट के लिए दो लाख रुपए मांगे तो मुझे शंका हुई। मैंने इसमें सफाई भी दी और अशोक विश्वकर्मा से बात करने के लिए उनका नंबर भी दे दिया। इसके बाद भी हर सप्ताह मुझे फोन कर परेशान कर रहा था।
राजेश ने बताया कि निरीक्षक के फोन से मैं परेशान था। पहले उसके उच्च अधिकारियों से शिकायत करने का सोचा, लेकिन तीन दिन मैंने पहले अखबार में सिमरोल के टीआई को रिश्वत लेते गिरफ्तार किए जाने की खबर पढ़ी। इससे मुझे हिम्मत आई और मैं लोकायुक्त के अधिकारियों के पास पहुंचा।
रिश्वतखोरी के मामले में इनकम टैक्स अधिकारी के पकड़े जाने के बाद पूरे विभाग में हड़कंप मच गया। इंदौर के आयकर दफ्तर परिसर में पहली बार लोकायुक्त ने कार्रवाई की है। विभाग के कुछ लोगों ने निरीक्षक का बचाव करते हुए लोकायुक्त की कार्रवाई पर सवाल खड़े करने की कोशिश भी की। हालांकि खुलकर कोई भी समर्थन में सामने नहीं आया। आरोपित निरीक्षक को डेढ़ वर्ष पहले आयकर इंदौर में पदस्थापना मिली थी। फिलहाल वह विभाग की इन्वेस्टिगेशन विंग के अधीन काम कर रहा था। विंग का काम गोपनीय और चुनौतीपूर्ण माना जाता है। छापे और कर चोरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई को यह विंग ही अंजाम देती है। ऐसे में विंग से जुड़े किसी अधीनस्थ के भ्रष्टाचार के आरोप में उलझने से आला अधिकारी भी हैरान हैं। लोकायुक्त की कार्रवाई के बाद विभाग के लोगों ने राज्य की एजेंसी के केंद्र के दफ्तर में आकर कार्रवाई करने पर सवाल खड़े किए। हालांकि लोकायुक्त के लिए इंदौर में किसी केंद्रीय कर्मचारी पर कार्रवाई का यह पहला मामला नहीं है। चार वर्ष पहले लोकायुक्त केंद्र के विभाग सेंट्रल एक्साइज के एक अधिकारी को भी रिश्वतखोरी के मामले में पकड़ चुका है।