इंदौर। इंदौर पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नए-नए प्रयास किये जा हैं सीईओ नेहा मीणा ने बताया कि काउंसिल चोरल और रत्वी गांव में डे और नाइट ट्रैकिंग के लिए भी योजना बना रही है। प्रोफेशनलों की निगरानी में इस तरह के आयोजन पूर्ण सुरक्षा में कराए जाएंगे। अगले महीने 5 से 10 दिसंबर तक इंदौर पर्यटन महोत्सव मनाया जाएगा, जिसके लिये विभिन्न आयोजन किये जा रहे हैं। परन्तु पर्यटन विकास के लिये बनी पुरानी योजनाओं पर जैसे धूल चढ़ गयी है पर्यटन को विकसित करने की बाकी योजनाएं अभी तक अधूरी पड़ी है जिनकी प्रशासन को सुध ही नहीं है जानिए कितनी योजनाएं हैं जिनका पूरा होना अभी तक बाकी है।
बोट क्लब हुआ बंद :
रीजनल पार्क स्थित पीपल्यापाला तालाब पर पर्यटन निगम बोट क्लब का संचालन करता था। तब वहां क्रूज 'मालवा क्वीन', मिनी क्रूज 'जलपरी', चार स्पीड बोट, दो जेट स्कूटर व 10 पैडल बोट चलाई जाती थी। इससे पर्यटन निगम को प्रतिमाह एक से डेढ़ लाख रुपए आय हो रही थी। दो वर्ष पहले तालाब का जलस्तर कम होने से पर्यटन निगम ने यहां से बोट क्लब बंद कर दिया।
पर्यटन निगम का होटल:
पर्यटन निगम के रीजनल ऑफिस के पास की जमीन पर पर्यटन निगम का होटल बनाने की योजना थी, लेकिन इस पर काम नहीं हो पाया। वर्तमान में इस जमीन पर सिटी बस का यार्ड बना हुआ है और यहां बसें खड़ी हो रही हैं।
इंदौर का रेल रेस्टॉरेंट :
पिछले चार साल से लालबाग के पीछे रेल रेस्टॉरेंट बनाया जा रहा है। डेढ़ से दो करोड़ की लागत से इसका स्ट्रक्चर बनकर भी तैयार है, लेकिन पर्यटन निगम अभी तक इसके संचालन के लिए कोई एजेंसी तय नहीं कर पाया। अभी जहां रेल रेस्टॉरेंट बना है, वहां शराबियों का जमघट लगा रहता है।
भोपाल चली गई केरा वैन :
इंदौर के आसपास पर्यटन स्थलों पर पर्यटकों को घुमाने के लिए सर्वसुविधायुक्त केरा वैन इंदौर में पर्यटन निगम के पास थी, लेकिन इसका ज्यादा इस्तेमाल नहीं हुआ तो इसे भोपाल शिफ्ट कर दिया गया। ओंकारेश्वर और उज्जैन में महाकाल के दर्शन करवाने के लिए पर्यटन निगम बस संचालित करता था, लेकिन यह भी बंद हो गई।
लाइट एंड साउंड शो बंद :
पर्यटन निगम ने राजवाड़ा पर लाइट एंड साउंड शो भी शुरू किया था। जब से राजवाड़ा के रेनोवेशन का कार्य शुरू हुआ, यहां शो भी बंद हो गया।
रोप-वे कागजों तक ही सीमित :
ईको टूरिज्म बोर्ड की देवगुराड़िया से रालामंडल पहाड़ी के बीच रोप-वे बनाने की योजना थी। 2012 से 2014 तक इसके लिए प्रयास भी किए गए। इसका प्रोजेक्ट तीन करोड़ से बढ़कर पांच करोड़ तक पहुंचा। इसके लिए मृदा परीक्षण भी हुआ, लेकिन आज तक यह प्रोजेक्ट कागजों में ही है।
जंगल सफारी की योजना अधूरी :
चोरल के जंगलों में पांच से सात किलोमीटर का पैदल ट्रैक बनाने की वन विभाग की योजना थी। इसके लिए वन विभाग ने प्रपोजल बनाकर भोपाल भेजा। डीपीआर भी तैयार हुई, लेकिन 2014 के बाद इस योजना का क्रियान्वयन ही नहीं हो सका।