भाजपा विधायक बेटी को लेकर 5 घंटे तक अस्पताल में भटकते रहे, ना डॉक्टर मिले, ना एंबुलेंस

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार प्रदेश के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य का अधिकार का ऐलान कर रही है लेकिन अस्पतालों की हालत ऐसी है कि वहां इलाज कम मौत ज्यादा मिलती है। विजयपुर से भाजपा विधायक सीताराम आदिवासी अपनी गर्भवती बेटी को लेकर 5 घंटे तक अस्पताल में भटकते रहे। ना तो समय पर उन्हें डॉक्टर मिले और ना ही एंबुलेंस आई। 

३५ मिनट बाद डॉक्टर ने पहला चेकअप किया 

हैरत में डालने वाला यह मामला सोमवार का है। भाजपा विधायक सीताराम आदिवासी की बेटी धोड़ीबाई (26) पत्नी सोनू आदिवासी निवासी मयापुर 9 माह की गर्भवती हैं। सोमवार की सुबह 10:30 बजे प्रसव पीड़ा उठने के बाद विधायक बेटी को लेकर जिला अस्पताल आए। विधायक ने करीब 35 मिनट तक डॉक्टर का इंतजार किया। डॉक्टर सीमा शाक्य ने चेकअप के बाद सोनोग्राफी की जांच लिख दी। 

सोनोग्राफी का नम्बर ही नहीं आया 

इसके बाद विधायक अपनी गर्भवती बेटी को लेकर सोनोग्राफी जांच केन्द्र पर गए, लेकिन वहां जांच का नंबर नहीं आया। इसके बाद विधायक अपनी समस्या लेकर सिविल सर्जन डॉ. आरबी गोयल के पास पहुंचे। सिविल सर्जन के हस्तक्षेप के बाद विधायक की बेटी की सोनोग्राफी जांच हुई।

ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठ रहे एनेस्थीसिया डॉक्टर नहीं आया

सोनोग्राफी रिपोर्ट देखने के बाद डॉ. सीमा शाक्य ने धोड़ीबाई के शरीर में पानी की कमी बताते हुए ऑपरेशन से प्रसव की बात कही। इसके बाद विधायक बेटी को लेकर ऑपरेशन थिएटर के बाहर बैठ गए। कुछ देर बाद नर्सों ने विधायक को बताया कि एनेस्थीसिया डॉक्टर अस्पताल में मौजूद नहीं है और आने की संभावना शाम तक नहीं है। इसलिए विधायक ने अपनी बेटी का प्रसव शिवपुरी कराने की कहकर उसे रेफर करा लिया। रेफर कराने में विधायक को 1:15 बज गया।

एंबुलेंस के लिए किया सवा दो घंटे इंतजार

रेफर कराने के बाद विधायक ने दोपहर 1:15 बजे एंबुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। विधायक को एंबुलेंस प्रबंधन ने जवाब दिया कि एक एंबुलेंस कोटा व दो गांवों में प्रसूताओं को छोड़ने गई हैं। करीब ढाई दो घंटे तक विधायक ने एंबुलेंस का इंतजार किया। पौने चार बजे एंबुलेंस आई तब विधायक अपनी बेटी को लेकर शिवपुरी मेडिकल कॉलेज के लिए रवाना हुए।

अस्पताल तो स्कूल से भी बदतर है 

सरकारी स्कूलों में अक्सर ऐसा हो जाता है कि बच्चे आते हैं लेकिन शिक्षक नहीं आते। पता करो तो बताया जाता है कि कुछ छुट्टी पर हैं कुछ को कलेक्टर ने दूसरे काम से भेज दिया है। अस्पताल में ऐसा नहीं हो सकता वहां मरीज होते हैं, जान का सवाल होता है। इलाज नहीं मिले तो मौत हो सकती है लेकिन यहां के जिला अस्पताल की बात कुछ और है। जिला अस्पताल में एनेस्थीसिया इंजेक्शन लगाने वाले तीन स्पेशलिस्ट डॉक्टर हैं, लेकिन इनमें से सोमवार को एक भी अस्पताल में नहीं था। डॉक्टर योगेश रावत व डॉ. कीर्ती बंसल को सिविल सर्जन ने छुट्टी स्वीकृत कर रखी है। बचे तीसरे डॉक्टर वीरेंद्र शाक्य, तो उन्हें सिविल सर्जन ने नसबंदी शिविर में भेज दिया। मानो सिविल सर्जन को पता था कि अस्पताल में तो कोई मरीज आएगा ही नहीं। बताते हैं कि डॉ. कीर्ती बंसल को सवा दो महीने से अस्पताल नहीं आईं, सिविल सर्जन ने एक नोटिस तक जारी नहीं किया।

इनका कहना है
अस्पताल में कोई भी सुविधा सही से नहीं चल रही। प्रसूता व मरीजों को जांच कराने के लिए भटकना पड़ रहा है। इलाज व ऑपरेशन के लिए डॉक्टर तक नहीं। मैं तो कुछ समझ ही नहीं पा रहा कि जिला अस्पताल की इतनी बुरी हालत कैसे हो सकती है। न डॉक्टर हैं, न एंबुलेंस समय पर मिल रही है, न जांच हो रही हैं। जब मेरे साथ यह सब हो सकता है तो आम जनता को कितना परेशान होना पड़ता होगा, यह सोचकर ही बुरा लग रहा है।
सीताराम आदिवासी विधायक, विजयपुर

विधायक की बेटी के शरीर में पानी की कमी है। उनका प्रसव ऑपरेशन से ही होगा। अस्पताल के एनेस्थीसिया डॉक्टर आज नसबंदी शिविर में गए हैं। इसीलिए हमने विधायक की बेटी को शिवपुरी रेफर किया है।
डॉ. आरबी गोयल सिविल सर्जन, जिला अस्पताल

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