मुंबई। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने शुक्रवार को रेपो रेट में 0.25% कटौती का ऐलान किया। रेपो रेट से जुड़े सभी तरह के कर्ज अब सस्ते हो जाएंगे। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) के सभी 6 सदस्यों ने रेट घटाने के पक्ष में वोट दिया। 5 सदस्यों ने 0.25% कटौती का समर्थन किया। एमपीसी के सदस्य रविंद्र ढोलकिया 0.40% कटौती चाहते थे। रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों को आरबीआई से कर्ज मिलता है। बैंकों को सस्ता कर्ज मिलने से ग्राहकों को भी फायदा होगा। लेकिन, रेपो रेट से लिंक एफडी की ब्याज दरें भी घटेंगी।
आरबीआई ने पिछले महीने सभी बैंकों को निर्देश दिए थे कि एक अक्टूबर से ब्याज दरों को रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क से जोड़ें। एसबीआई और दूसरे प्रमुख बैंकों ने रेपो रेट को चुना। इसका फायदा ये होगा कि आरबीआई जब भी रेपो रेट घटाएगा ग्राहकों के लिए लोन तुरंत सस्ते होंगे। एमसीएलआर आधारित लोन में ग्राहकों को तुरंत फायदा नहीं मिल रहा था। बल्कि, रीसेट डेट के हिसाब से ईएमआई में बदलाव होता था। बैंक भी रेपो रेट घटने के बाद ब्याज दरें तुरंत घटाने को बाध्य नहीं थे। आरबीआई इस व्यवस्था से संतुष्ट नहीं था। क्योंकि, उसके रेट घटाने का पूरा फायदा ग्राहकों को नहीं मिल रहा था।
नए ग्राहकों को तुरंत फायदा मिलेगा
हालांकि, एसबीआई के पुराने ग्राहकों को रेपो रेट में कटौती का फायदा लेने के लिए लोन शिफ्टिंग के लिए आवेदन करना होगा। बाकी बैंकों की तरफ से स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई। जो भी बैंक लोन की दरों को रेपो रेट से जोड़ चुके हैं उनके नए ग्राहकों को 0.25% कटौती का फायदा तुरंत मिलेगा।
रेपो रेट 9 साल में सबसे कम
आरबीआई ने लगातार 5वीं बार रेपो रेट घटाया है। अगस्त में 0.35% की अप्रत्याशित कटौती की थी। इससे पहले तीन बार रेट 0.25-0.25% घटाया था। इस साल रेपो रेट 1.35% कम हुआ है। शुक्रवार की कटौती के बाद इसकी दर 5.40% से घटकर 5.15% रह गई। यह मार्च 2010 के बाद सबसे कम है।
आगे भी ब्याज दर घटाने के संकेत
आरबीआई ने मौद्रिक नीति को लेकर अकोमोडेटिव नजरिया बरकरार रखा। यानी ब्याज दर में आगे और कमी संभव है। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जीडीपी ग्रोथ में सुधार के लिए जब तक जरूरी होगा, अकोमोडेटिव नजरिया रखा जाएगा। आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की अगली बैठक 3-5 दिसंबर को होगी।
आरबीआई ने जीडीपी ग्रोथ अनुमान घटाया
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष (2019-20) के लिए आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाकर 6.1% कर दिया। पिछली बार 6.9% ग्रोथ का अनुमान जारी किया था। जुलाई-सितंबर तिमाही के लिए खुदरा महंगाई दर का अनुमान 3.1% से बढ़ाकर 3.4% किया है। हालांकि, चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही (अक्टूबर-मार्च) में खुदरा महंगाई दर 3.5% से 3.7% के बीच रहने का अनुमान बरकरार रखा।
बैंकिंग सिस्टम मजबूत, चिंता की बात नहीं: आरबीआई गवर्नर
अनियमितताओं की वजह से पीएमसी बैंक पर प्रतिबंध लगने से लोगों के मन में चिंताएं हैं। इस बारे में आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि किसी एक घटना को सभी को-ऑपरेटिव बैंकों के संदर्भ में नहीं देखना चाहिए। इन बैंकों के नियमन की फिर से समीक्षा की जाएगी। सरकार से इस बारे में चर्चा करेंगे। दास ने कहा कि बैंकिंग सिस्टम दुरुस्त है। चिंता की कोई बात नहीं।