इंदौर। उद्यानिकी विभाग के तत्कालीन उप संचालक शिवदत्त पांडे को विशेष न्यायालय ने भ्रष्टाचार का दोषी पाया है। न्यायालय में बहस के दौरान शिवदत्त पांडे अर्जित संपत्ति के विषय में कोई ज्ञात स्त्रोत की जानकारी देने में असफल रहे। न्यायालय ने शिवदत्त पांडे की करीब 2 करोड रुपए से ज्यादा की संपत्ति राजसात करने के आदेश दिए। शिवदत्त पांडे मूल रूप से इंदौर के रहने वाले हैं। आरोप प्रमाणित हुआ है कि श्री पांडे ने अपने सेवाकाल में जिला धार, बैतूल, भोपाल, देवास, झाबुआ एवं इंदौर में पदस्थ रहते हुए भ्रष्टाचार किया।
शिवदत्त पाण्डेय द्वारा योजनाबद्ध तरीके से भ्रष्टाचार कर अपने व अपने परिवार के नाम से अनुपातहीन संपत्ति अर्जित करना शुरू किया तथा अपनी आय के ज्ञात स्त्रोतों से अधिक की अनुपातहीन संपत्ति एकत्रित की गई। उक्त प्रकरण में पुरजोर तरीके से शासन का पक्ष विशेष लोक अभियेाजक, श्री महेन्द्र कुमार चतुर्वेदी द्वारा रखा गया।
अभियोजन की कहानी इस प्रकार है कि दिनांक 28.12.2010 विशेष पुलिस स्थापना लोकायुक्त इंदौर को सूत्र सूचना प्राप्त हुई कि शिवदत्त पांडे तत्कालीन उप संचालक उघानिकी विभाग इंदौर के द्वारा अवैध रूप से अनुपातहीन सम्पत्ति अर्जित की जा रही है। सूत्र सूचना प्रतिवेदन एवं तस्दीक उपरांत शिवदत्त पांडे, तत्कालीन उप संचालक उधानिकी विभाग इंदौर के विरूद्ध प्रथम दृष्टया अनुपातहीन संपत्ति अर्जन का मामला पाये जाने से अपराध क्रमांक 0/1/2011 (असल अपराध क्रमांक 2/11) धारा 13(1)ई, 13(2) पीसी एक्ट 1988 का प्रकरण पंजीबद्ध किया गया।
आरोपी द्वारा अर्जित उक्त अवैध संपत्ति को राजसात करने हेतु म.प्र. विशेष न्यायालय अधिनियम 2011 के अंतर्गत आवेदन विशेष न्यायाधीश एवं प्राधिकृत अधिकारी क्रमांक 02 इंदौर के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। उक्त आवेदन की सुनवाई कर विशेष न्यायाधीश एवं प्राधिकृत अधिकारी क्रमांक- 02 इंदौर (म.प्र. विशेष न्यायालय अधि. 2011) माननीय प्राधिकृत अधिकारी ने आज दिनांक 21/10/2019 को आदेश पारित किया जिसमें शिवदत्त पांडे आदि की कुल 2,31,08,651/- रूपये की चल-अचल संपत्ति अधिहरण योग्य पाते हुये अधिहरित (confiscated) की जाकर सभी बंधनों से मुक्त म.प्र. राज्य को अधिहरित घोषित की जाती है। यहां उल्लेख करना समीचीन है कि श्री महेन्द्र कुमार चतुर्वेदी ने इसके पूर्व में भी 09 राजसात प्रकरणों में भी संपत्ति राजसात कराने में सफलता अर्जित की है।