भारत में विदेशी चीजों का हमेशा से ही सम्मान रहा है। यदि कोई व्यक्ति विदेश से पढ़कर वापस आता है तो उसे भारत के सर्वश्रेष्ठ छात्र से भी श्रेष्ठ का स्वभाविक दर्जा मिल जाता है लेकिन सरकार की एक रिपोर्ट चौंकाने वाली है। वो कलई खोल रही है कि विदेश से एमबीबीएस जैसी डिग्री हासिल करके लौटने वाले डॉक्टर असल में किस स्तर के होते हैं। इससे पहले केंद्र की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि देश में करीब 57 फीसदी डॉक्टर फर्जी हैं। पढ़िए इस नई रिपोर्ट का सारांश:
भारत में प्राथमिक परीक्षा भी पास नहीं कर पाते
बताया गया है कि विदेश से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौटने वाले अधिकांश डॉक्टर यहां फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट्स एग्जामिनेशन (FMGE) की परीक्षा पास ही नहीं कर पाते। इस परीक्षा को पास किए बिना वे भारत में मेडिकल प्रैक्टिस नहीं कर सकते। उन्हें लाइसेंस ही नहीं मिलेगा लेकिन इसे पास करने वालों की संख्या 15 फीसदी से भी कम है। ये आंकड़े नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशंस (NBE) द्वारा जारी किए गए हैं। एनबीई ही एफएमजीई का आयोजन करती है।
85 प्रतिशत से ज्यादा एमबीबीएस डॉक्टर फेल हो जाते हैं
एनबीई ने 2015 से 2018 के बीच एफएमजीई देने वाले डॉक्टरों और उनके पास प्रतिशत का अध्ययन किया। इनकी कुल संख्या 61,708 थी लेकिन इनमें से महज 8,764 अभ्यर्थी ही परीक्षा पास कर पाए। यानी 14.2 फीसदी। परीक्षा में शामिल होने वाले कुछ अभ्यर्थियों में से 54,055 (करीब 87.6 फीसदी) सात देशों के कॉलेजों से एमबीबीएस करने वाले थे। ये देश हैं - चीन, रूस, बांग्लादेश, नेपाल, यूक्रेन, किर्जिस्तान, कजाखस्तान।
क्यों सार्वजनिक किए गए ये आंकड़े
नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. विनोद पॉल ने इस संबंध में कहा कि 'आंकड़े इसलिए सार्वजनिक किए गए ताकि अभ्यर्थियों को अभिभावकों को विदेश में सही मेडिकल कॉलेज चुनने और इसका फैसला लेने में मदद मिल सके। अब तक एमबीबीएस के लिए चीन, रूस और यूक्रेन भारतीय छात्रों की पसंदीदा जगहों में शुमार हैं।'
भारत में एमबीबीएस की कुल कितनी सीटें
डॉ. पॉल के अनुसार, वर्तमान में भारत में एमबीबीएस की करीब 77 हजार सीटें हैं। उन्होंने बताया है कि देश में प्रशिक्षण के अवसर बढ़ाए जाने के लिए तेजी से प्रयास चल रहे हैं। नजदीकी भविष्य में भारत में एमबीबीएस सीटों की संख्या बढ़ाकर करीब एक लाख करने का लक्ष्य है।