JABALPUR दिवाली पर प्रदेश में सबसे प्रदूषित शहर

जबलपुर। रोशनी का त्यौहार दीपावली तो सभी लोगों ने खुशी-खुशी मनाई, लेकिन अपनी खुशी में लोगों ने शहर की हवा में जहर घोल दिया। सामान्य दिनों से अलग दीपावली के पहले और दूसरे दिन हवा में तीखापन, आसमान में धुआं-धुआं सा नजर आया तो शहर की सड़कों में रखे कूड़ेदान पटाखों के कचरे से भरे पड़े थे। दीपावली पर जबलपुर में लोगों ने इतने पटाखे जलाए कि हवा में ही जहर घुल गया।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों के मुताबिक हवा में पाए जाने प्रदूषण तत्व रात के समय पीएम 2.5 का लेवल 500 तक पहुंच गया जो कि बहुत ज्यादा है वहीं दिन भर के एवरेज की बात करें 162 था। इधर इंदौर-भोपाल की बात करें तो दोनों जिलों में रात के समय प्रदूषण 500 तक तो पहुंचा परंतु पूरे दिन का एवरेज इंदौर-86 तो भोपाल 151 रहा। गौरतलब है कि पिछले वर्ष संस्कारधानी जबलपुर प्रदेश में सबसे अधिक प्रदूषित शहर माना गया था, जबकि इस बार के आंकड़े भी यही बता रहे हैं कि शहर में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।

अंजाम के प्रति बेरपरवाह दिखे लोग

दीपावली की खुशी में लोग पटाखों के अंजाम के प्रति बेपरवाह रहे। कहने को संस्कारधानी में हर पर्व की अपनी छटा बिखरती है, लेकिन दीपावली पर तमाम जनजागरूकता के बावजूद किसी ने भी पर्यावरण (ग्रीन दीपावली) की चिंता नहीं की। ग्रीन दिपावली मानों सिर्फ सोशल मीडिया तक ही सीमित रही और हकीकत में बम फटाकों को फोड़कर ही असली दीपावली मनाई गई। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़ों पर अगर गौर करें तो एयर क्वालिटी इंडेक्स के मुताबिक जबलपुर में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा रहा।

जबलपुर की आबोहवा में घुला इतना जहर

आंकड़े बताते हैं कि जबलपुर में पीएम 2.5 का लेवल 500 तक पहुंच गया जबकि औसत पीएम यानी पर्टिक्यूलेट मैटर 162 रिकॉर्ड किया गया। शहर की फिजा सबसे ज्यादा हरीली रात 12 बजे थी जिसमें पीएम 2.5 का लेवल 500 जबकि पीएम 10 का लेवल 420 तक पहुंच चुका था। इसके अलावा नाइट्रोजन डाईऑक्साइड, सल्फर और अमोनिया की मात्रा भी ज्यादा पाई गई।

ये है वायु प्रदूषण मापने का पैमाना

51-100 संतोषजनक
101-200 मध्यम
201-300 खराब
301-400 बेहद खराब
401-500 खतरनाक
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