नई दिल्ली। भारत सरकार के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब एक नया इतिहास बनाने जा रहे हैं। वो दिल्ली से लेकर गुजरात तक 'ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया' का निर्माण करने जा रहे हैं। यह दुनिया की सबसे बड़ी ग्रीन वॉल होगी और हां दुनिया की इकलौती ऐसी दीवार होगी जो पेड़ों से बनाई जाएगी। इसकी लम्बाई 1400 किलोमीटर होगी जबकि यह 5 किलोमीटर चौड़ी होगी। अफ्रीका में क्लाइमेट चेंज और बढ़ते रेगिस्तान से निपटने के लिए हरित पट्टी को तैयार किया गया है। इसे 'ग्रेट ग्रीन वॉल ऑफ सहारा' भी कहा जाता है।
ग्रीन वॉल ऑफ इंडिया से क्या फायदा होगा
फिलहाल यह विचार शुरुआती दौर में ही है, लेकिन कई मंत्रालयों के अधिकारी इसे लेकर खासे उत्साहित हैं। यदि इस प्रॉजेक्ट पर मुहर लगती है तो यह भारत में बढ़ते प्रदूषण को रोकने के लिए भविष्य में भी एक मिसाल की तरह होगा। इसे थार रेगिस्तान के पूर्वी तरफ विकसित किया जाएगा। पोरबंदर से लेकर पानीपत तक बनने वाली इस ग्रीन बोल्ट से घटते वन क्षेत्र में इजाफा होगा। इसके अलावा गुजरात, राजस्थान, हरियाणा से लेकर दिल्ली तक फैली अरावली की पहाड़ियों पर घटती हरियाली के संकट को भी कम किया जा सकेगा।
राजस्थान, पाकिस्तान से दिल्ली आने वाली धूल रुकेगी
पश्चिमी भारत और पाकिस्तान के रेगिस्तानों से दिल्ली तक उड़कर आने वाली धूल को भी रोका जा सकेगा। एक अधिकारी ने नाम उजागर न करने की शर्त पर बताया, 'भारत में घटते वन और बढ़ते रेगिस्तान को रोकने का यह आइडिया हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की कॉन्फ्रेंस (COP14) से आया है। हालांकि अभी यह आइडिया मंजूरी के लिए फाइनल स्टेज में नहीं पहुंचा है।'
2030 तक काम पूरा करने का लक्ष्य
अफ्रीका में 'ग्रेट ग्रीन वॉल' पर करीब एक दशक पहले काम शुरू हुआ था। हालांकि कई देशों की भागीदारी होने और उनकी अलग-अलग कार्यप्रणाली के चलते अब भी यह हकीकत में तब्दील नहीं हो सका है। भारत सरकार इस आइडिया को 2030 तक राष्ट्रीय प्राथमिकता में रखकर जमीन पर उतारने पर विचार कर रही है। इसके तहत 26 मिलियन हेक्टेयर भूमि को प्रदूषण मुक्त करने का लक्ष्य है।
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'ग्रीन वॉल' का अहम हिस्सा होगा अरावली रेंज
हालांकि अभी कोई अधिकारी इस पर खुलकर बात करने को तैयार नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि अभी यह प्लान अप्रूवल स्टेज पर नहीं है। ऐसे में इस पर अभी बात करना जल्दबाजी होगा। उन्होंने कहा कि यह ग्रीन बेल्ट लगातार नहीं होगी, लेकिन अरावली रेंज का बड़ा हिस्सा इसके तहत कवर किया जाएगा ताकि उजड़े हुए जंगल को फिर से पूरी तरह विकसित किया जा सके। एक बार इस प्लान को मंजूरी मिलने के बाद अरावली रेंज और अन्य जमीन पर काम शुरू होगा। इसके लिए किसानों की जमीन का भी अधिग्रहण होगा। भारत में जिस 26 मिलियन हेक्टेयर भूमि को हरित करने का लक्ष्य लिया गया है, उसमें अरावली भी शामिल है।
दिल्ली, राजस्थान, गुजरात की हालत ज्यादा खराब
इसरो ने 2016 में एक नक्शा जारी किया था, जिसके मुताबिक गुजरात, राजस्थान और दिल्ली ऐसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में हैं, जहां 50 फीसदी से अधिक भूमि हरित क्षेत्र से बाहर है। इसके चलते इन इलाकों में रेगिस्तान का दायरा बढ़ने का खतरा है।