भोपाल। कमलनाथ सरकार पिछले 10 महीनों में एक भी घोटाले में प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पाई है परंतु हर घोटाले की फाइल खोलकर उस पर ईओडब्ल्यू को जरूरत तैनात किया जा रहा है। जिस तरह केंद्र सरकार पर सीबीआई और आयकर विभाग के दुरुपयेाग का आरोप लगता रहता है, मध्यप्रदेश में इसी तरह का भूमिका आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) निभा रहा है। वो सरकार के लिए खतरा बनने वाले सभी भाजपा नेताओं पर शिकंजा कस रहा है ताकि गठबंधन की सरकार को कोई खतरा ना हो। याद दिला दें कि भाजपा नेता नरोत्तम मिश्रा ने जैसे ही कमलनाथ सरकार को कमजोर करने की गतिविधियां शुरू की थीं, ईओडब्ल्यू ने उनके नजदीकियों को जेल के अंदर और मिश्राजी को सलाखों की दहशत तक पहुंचा दिया था। इसके बाद मिश्राजी शांत हुए तो ईओडब्ल्यू ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए।
ईओडब्ल्यू ने आरोपियों को सूचीबद्ध करना शुरू कर दिया
जानकारी के मुताबिक 2003 से 2009-10 के बीच स्वास्थ्य विभाग में हुई दवा की सप्लाई की एकबार फिर ईओडब्ल्यू में जांच शुरू हुई है। इसमें तत्कालीन दवा सप्लायर अशोक नंदा और उनसे जुड़े स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों सहित अन्य लोग शामिल हैं। हालांकि इस मामले में पहले पद के दुरुपयोग और अन्य गड़बड़ियों को लेकर शिवराज सरकार के समय जांच हुई थी। सूत्रों के मुताबिक अब ईओडब्ल्यू ने दवा सप्लाई में गड़बड़ी की प्रारंभिक जांच शुरू की है।
बताया जा रहा है कि इस बार ईओडब्ल्यू की जांच के मुख्य बिंदु में दवा सप्लाई है। सूत्रों के मुताबिक यह जांच की जा रही है कि जांच की अवधि में कितनी दवाओं की सप्लाई हुई, किन-किन कंपनियों की दवाओं की सप्लाई की गई, किन संस्थाओं ने उन दवाओं को सप्लाई किया, ऑर्डर की गई दवाओं में से कितनी दवाएं आईं और कितनी दवाएं विभाग को नहीं मिली।
जिन दवाओं की प्रदेश को सप्लाई नहीं हुई, उनमें से कितने का भुगतान कर दिया गया। इन तथ्यों की जांच के लिए ईओडब्ल्यू ने कोलकाता की आठ कंपनियों को पत्र लिखकर इससे जुड़ी जानकारियां मांगी हैं। वहीं, भोपाल के श्री झरनेश्वर नागरिक बैंक, महानगर बैंक और पंजाब नेशनल बैंक को पत्र लिखकर दवा सप्लायरों से जुड़े लोगों के लेन-देन का रिकॉर्ड मांगा गया है।