सोशल मीडिया पर पुलिस आरक्षकों का दर्द शेयर कर रहा आरक्षक सस्पेंड | EMPLOYEE NEWS

Bhopal Samachar
भोपाल। मध्यप्रदेश में पुलिस विभाग के कर्मचारियों को यूनियन बनाने का अधिकार नहीं है। हड़ताल पर तो वो कभी जा ही नहीं सकते, उन्हे ड्यूटी पर रहते हुए विनम्रतापूर्वक अपने कर्मचारी अधिकार मांगने का अधिकार भी नहीं है। अनुशासन के नाम पर आरक्षकों का शोषण 1860 से शुरू हुआ था जो 2019 तक लगातार होता आ रहा है। जबलपुर में एक पुलिस आरक्षक को केवल इसलिए सस्पेंड कर दिया गया क्योंकि वो कांग्रेस द्वारा चुनाव में पुलिस कर्मचारियों से किए गए वादों को याद दिलाने की कोशिश कर रहा था। वो पुलिस विभाग में सुधार के सुझाव दे रहा था। 

आरक्षक की गलती: पुलिस में सुधार की बात कर रहा था

जबलपुर जिले के पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने कहा, ‘कांस्टेबल शुभम बाजपेयी अपने मोबाइल नम्बर से सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर पुलिस व्यवस्था में सुधार लाए जाने सहित पुलिसकर्मियों की विभिन्न मांगों को पोस्ट कर रहा है।’ इसी वजह से उसे निलंबित किया गया है। पुलिस अधीक्षक ने कहा कि इस कांस्टेबल का यह कृत्य पुलिस आचरण के विपरीत है और उसके द्वारा की गई अनुशासनहीनता से पुलिस विभाग एवं शासन की छवि भी धूमिल हो रही है, जिसके चलते उसे सोमवार को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है।

निलंबन के बाद यहां किया अटैच

निलंबन के बाद कांस्‍टेबल को पुलिस लाइन में अटैच किया गया है। पुलिस अधीक्षक अमित सिंह ने बताया कि शुभम जबलपुर जिले की नुनसर पुलिस चौकी में पदस्थ था। वह फेसबुक, व्हाट्सएप एवं ट्विटर पर पुलिस व्यवस्था में सुधार लाए जाने सहित पुलिसकर्मियों की विभिन्न मांगों को पोस्ट कर रहा था।

रायसेन में आरक्षक ने सुसाइड कर लिया था

बता दें कि अधिकारियों के कथित प्रताड़ना के चलते 2 दिन पहले ही मध्यप्रदेश के रायसेन में पुलिस आरक्षक ने खुद को गोली मार ली थी। गैरतगंज थाने में पदस्थ आरक्षक शहजाद, सागर जिले के बरारू का रहने वाला था जो रायसेन जिले के गैरतगंज थाने में पदस्थ था। आरक्षक कल रात्रि गश्त के बाद तड़के चार बजे घर लौटा था। 

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