भोपाल। कमलनाथ सरकार ने भोपाल शहर को 2 हिस्सों में बांटने का बेतुका फैसला कर लिया है। हालांकि इसका काफी विरोध हो रहा है परंतु भारी विरोध नहीं हो रहा है। सरकार अपनी लाइन पर आगे बढ़ रही है। भोपाल के बंटवारे का पूरा प्लान तैयार कर लिया गया है। कहा जा रहा है कि यह सबकुछ केवल इसलिए हो रहा है क्योंकि कोलार नगरपालिका का गठन नहीं किया जा सका। नेताओं को नई सरकारी कुर्सियां उपलब्ध कराने के लिए जनता को नई परेशानियों में झौंका जा रहा है।
भोपाल नगर निगम में ये इलाके आएंगे
भोपाल नगर निगम के लिए 85 वार्ड में से 54 वार्डों को रखा गया है। इसमें महात्मा गांधी वार्ड, एयरपोर्ट, भौंरी, हेमू कालानी वार्ड, साधु वासवानी वार्ड, महावीरिगिरी वार्ड, कोहेफिजा, रॉयल मार्केट, बाग मुंशी हुसैन खां, ईदगाह हिल्स, बाबू जग जीवन राम वार्ड, नारियल खेड़ा, गीताजंली वार्ड, शाहजहांनाबाद, जेपी नगर, मोतीलाल नेहरू वार्ड, इब्राहिमगंज, राम मंदिर वार्ड, लाल बहादुर शास्त्री वार्ड, महावीर स्वामी वार्ड, जैन मंदिर वार्ड, मोती मजिस्द, इस्लामपुरा, रानी कमलापति वार्ड, स्वामी विवेकानंद वार्ड, डॉ अंबेडकर वार्ड, गोस्वामी तुलसीदास वार्ड, रानी आवंतीबाई वार्ड, मौलाना अबुल कलाम आजाद वार्ड, कुशाभाऊ ठाकरे वार्ड, छत्रपति शिवाजी वार्ड, जवाहरलाल नेहरू वार्ड, पंडित मदन मोहन मालवीय वार्ड, रवींद्र नाथ टैगोर वार्ड, जहांगीराबाद, चांदबड़, कपड़ा मिल, सेमरा, नवीन नगर, ऐशबाग, बाग फरहत अफजा, महारानी लक्ष्मी बाई वार्ड, महाराणा प्रताप वार्ड, सुभाष चंद्र बोस बोर्ड, इंदिर गांधी वार्ड, पंडित रविशंकर शुक्ल वार्ड, डॉ राजेंद्र प्रसाद वार्ड, अरेरा कॉलोनी, आशा निकेतन, गुलमोहर, शाहपुरा, गुरुनानक देव वार्ड, पंजाबी बाग, दशहरा मैदान अशोका गार्डन को शामिल किया जाएगा
कोलार नगर निगम में ये इलाके आएंगे
कोलार नगर निगम में नगर निगम के 85 में से 31 वार्डों को रखा गया है। इसमें मिसरोद, जाटखेड़ी, बरकतउल्लाह, बाग मुगालिया, बरखेड़ा पठानी, साकेत नगर, शक्ति नगर, कस्तूरबा, बरखेड़ा, बीएचईएल, गोविंदपुरा, खजूरीकलां, हथाई खेड़ा, गौतम बुद्ध वार्ड, सोनागिरी, गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र, नरेला संकरी, इंद्रपुरी, आयोध्या नगर, आरजीपीवी, भोपाल मेमोरियल अस्पताल, भानपुर, बड़वई, छोला, रूसल्ली, करोंद, नवीबाग, सर्वधर्म कोलार, कान्हाकुंज, दानिश कुज, सनखेड़ी, रतनपुर सड़क, कटारा हिल्स को शामिल किया जाएगा।
दो नगर निगम बनने से यह होंगे बड़े नुकसान
सुविधा : शहर में पानी सप्लाई नर्मदा, कोलार और बड़े तालाब से होती है। पानी का बंटवारा करने में बड़ी समस्या आएगी। वर्तमान में सड़कें अलग-अलग एजेंसियों के पास है, दो नगर निगम होने से सड़कों के मेंटेनेंस प्रभावित होंगे। स्ट्रीट लाइट की व्यवस्था को लेकर भी समस्या होगी।
आय : नगर निगम में नए शहर से सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी टैक्स आता है, जबकि पुराने शहर से संपत्तिकर और जल उपभोक्ता प्रभार कम आता है। ऐसे में पुराने शहर में आय की कमी से विकास कार्यों पर असर पड़ेगा।
स्मार्ट सिटी : स्मार्ट सिटी के काम नगर निगम सीमा में किए जा रहे हैं। दो नगर निगम होने से स्मार्ट सिटी के पैन सिटी मॉडल के तहत काम कहां होंगे, यह तय नहीं है। इससे विवाद होंगे।
सबसे बड़ी बात: शहर 2 हिस्सों में बंटा हुआ साफ नजर आएगा। एक विकसित होगा और दूसरा पिछड़ा हुआ दिखाई देगा क्योंकि दोनों नगर निगम समान रूप से काम नहीं करेंगे।