आरक्षण पर RSS का यू-टर्न, कहा: आरक्षित लोग फैसला करें, कब तक चाहिए

नई दिल्ली। जाति आधारित आरक्षण मामले में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संगठन (आरएसएस) ने यू-टर्न ले लिया है। अब तक आरएसएस जाति आधारित आरक्षण के बजाए आर्थिक आधार पर आरक्षण की वकालत करता था, फिर भाजपा के दवाब में चुप हो गया। अब आधिकारिक रूप से कहा गया है कि जब तक आरक्षित जातियों को लगता है कि आरक्षण का लाभ लेना चाहिए, उन्हे यह लाभ मिलते रहना चाहिए। यानी आरक्षण जारी रखना है या खत्म करना है यह फैसला आरक्षण का लाभ उठाने वाले करेंगे। 

आरएसएस आरक्षण का पूरी तरह समर्थन करता है

राजस्थान के पुष्कर में चल रही समन्वय बैठक के बाद संघ ने यह बात कही। बता दें कि यहीं पर पूजन कार्यक्रम में पुरोहित ने आरएसएस चीफ मोहन भागवत से दक्षिणा में 'आरक्षण मुक्त भारत' मांग लिया था। संघ के सह सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि आरएसएस संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण का पूरी तरह समर्थन करता है। उन्होंने कहा कि समाज में आर्थिक और सामाजिक असमानता है और इसी वजह से आरक्षण भी जरूरी है।

आरक्षण जारी रहना चाहिए

संघ की आनुषांगिक संगठनों के साथ तीन दिवसीय समन्वय बैठक के आखिरी दिन सोमवार को उन्होंने कहा, 'समाज में आज भी आर्थिक और सामाजिक समानता नहीं है, ऐसे में संविधान द्वारा दिए गए आरक्षण का हम पुरजोर समर्थन करते हैं।' इस सवाल पर कि क्या आरक्षण की समीक्षा नहीं होनी चाहिए, उन्होंने कहा कि यह निर्णय लेना इससे जुड़े लोगों और नीति-निर्धारकों का काम है। हालांकि उन्होंने कहा, 'आरक्षण तब तक जारी रहना चाहिए, जब तक उसके लाभार्थियों को लगता है कि यह जरूरी है।'

आनुषांगिक संगठनों के साथ तीन दिवसीय बैठक

बता दें कि आरएसएस की अपने आनुषांगिक संगठनों के साथ तीन दिवसीय बैठक शनिवार को राजस्थान के पुष्कर में शुरू हुई थी। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा ने रविवार को बैठक में जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने पर विस्तार से एक प्रस्तुति दी। वरिष्ठ बीजेपी नेता राम माधव ने असम में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के मुद्दे पर चिंताओं का समाधान किया। यह जानकारी सूत्रों ने दी।

35 अनुषांगिक संगठनों के 200 से अधिक प्रतिनिधि

समन्वय बैठक में आरएसएस के 35 अनुषांगिक संगठनों के 200 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह लोकसभा चुनाव के बाद इस तरह की पहली बैठक थी। तीन दिवसीय बैठक शनिवार को शुरू हुई और इसमें विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हुई। इन मुद्दों में अर्थव्यवस्था से लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दे भी शामिल थे।

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