भोपाल। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) अब ग्राहकों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों पर सीधे कुर्की की कार्रवाई कर सकेगा। इसके लिए जरूरी सिविल कोर्ट के अधिकार रेरा को मिल गए हैं। इस संबंध में गजट नोटिफिकेशन भी कर दिया गया है। सिविल कोर्ट के अधिकार मिलने से रेरा बिल्डरों पर नकेल कस सकेगा।
अब तक किसी ग्राहक से शिकायत मिलने पर रेरा सुनवाई करता था। शिकायत सही पाए जाने पर बिल्डर के खिलाफ रेवेन्यू रिकवरी सर्टिफिकेट (आरआरसी) जारी किया जाता था। सिविल कोर्ट के अधिकार नहीं होने से इसे क्रियान्वयन के लिए कलेक्टर कार्यालय भेजा जाता था।
राजस्व मामलों में वसूली के अधिकार तहसीलदार की कोर्ट को हैं। वही कोर्ट इस पर कार्रवाई करती थी। कलेक्टर कार्यालयों में अन्य कामों के चलते और निचले स्तर पर खामियों के कारण इस पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हो पा रही थी।
अब क्या होगा
नियमों में संशोधन के बाद रेरा जिला न्यायाधीश या अतिरिक्त जिला न्यायाधीश स्तर के एक या एक से अधिक न्याय निर्णायक अधिकारी नियुक्त कर सकेगा। इन्हें प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के अधिकार होंगे। वे ग्राहक के मूलधन, ब्याज, पेनल्टी या मुआवजे की रिकवरी कर सकेंगे। अधिकार मिलने से रेरा मजबूत होगा व बिल्डर उसके फैसलों का सावधानी से पालन करेंगे।
रेरा ने मांगे थे अधिकार
आरआरसी जारी होने के बाद कार्रवाई नहीं होने के मामले काफी बढ़ गए थे। इसे देखते हुए रेरा ने सिविल कोर्ट के अधिकार मांगे थे। इसके लिए सरकार ने पिछले दिनों नियमों में संशोधन करते हुए उसे यह अधिकार दे दिए। सूत्रों के अनुसार रेरा ने करीब 800 मामलों में आरआरसी जारी की थीं, लेकिन वसूली नाममात्र की भी नहीं थी। इसलिए सिविल कोर्ट के अधिकार रेरा को देने का निर्णय लिया गया।