अश्विन मास के शुक्लपक्ष की प्रतिपदा तिथि पर 29 सितम्बर से शारदीय नवरात्र प्रारंभ हो रहे हैं। इस बार माता की घटस्थापना अमृत सिद्घि व सर्वार्थ सिद्घि योग में होगी। शक्ति उपासना के इन नौ दिनों में दो बार अमृत सिद्घि, पांच बार सर्वार्थ सिद्घि तथा पांच बार रवि योग का संयोग बन रहा है। नवरात्र इस बार इन दिव्य योगों के कारण यंत्र, मंत्र की सिद्घि के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार 29 सितंबर को रविवार के दिन हस्त नक्षत्र, ब्रह्म योग, किंस्तुघन करण व कन्याराशि के चंद्रमा के शुभयोग में शारदीय नवरात्र का आरंभ होगा। रविवार को हस्त नक्षत्र में दिन की शुरुआत होने से अमृत सिद्घि व सर्वार्थ सिद्घि योग बन रहा है। सुबह 6 बजकर 21 मिनट से शाम 7 बजकर 8 मिनट तक शुभ योग व मुहूर्त रहेगा। घट स्थापना के लिए यह समय श्रेष्ठ है। नवरात्र के नौ दिनों में अमृत सिद्घि, सर्वार्थ सिद्घि व रवियोग के मौजूद रहने से देवी की साधना, उपासना व आराधना करने से भक्त को शुभफल की कई गुणा अधिक प्राप्ति होगी।
संकल्प सिद्घि व परिवार में सुख समृद्घि के लिए करें साधना
ज्योतिषाचार्य सतीश सोनी के अनुसार श्रीमद्देवी भागवत में नवरात्र के नौ दिनों में साधना व उपासना का विशेष महत्व बताया गया है। संकल्प सिद्घि व पारिवार में सुख समृद्घि के लिए भक्त को नियम, स्वाध्याय से देवी की आराधना करना चाहिए। इस बार नौ दिन दिव्य योगों की साक्षी महत्वपूर्ण है। इसमें देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए की गई साधना से कार्य सिद्घि तथा वंशवृद्घि करने वाली रहेगी।
नौ दिनों में कब-कब विशिष्ट योग
-29 सितंबर-अमृत सिद्घि व सर्वार्थ सिद्घि योग
-01 अक्टूबर-दोपहर 2.21 बजे से रवियोग
-02 अक्टूबर-सुबह से दोपहर 12.51 बजे तक रवियोग। इसके बाद दोपहर 12.53 से शाम 6.30 बजे तक अमतृ सिद्घि व सर्वार्थ सिद्घि योग।
-03 अक्टूबर-सुबह 6.24 से दोपहर 12.11 बजे तक सर्वार्थ सिद्घि योग। दोपहर 12.11 के बाद रवि योग।
-04 अक्टूबर-दोपहर 12.20 से शाम 5 बजे तक रवियोग
06 अक्टूबर- दोपहर 3.04 बजे से अगले दिन सुबह तक सर्वार्थ सिद्घि योग।
07 अक्टूबर- शाम 5.26 से अगले दिन सुबह 6.30 बजे तक सर्वार्थ सिद्घि योग।