भोपाल। ई-टेंडर घोटाला में पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा की घेराबंदी के बाद अब उन्हे क्लीनचिट देने की तैयारी कर की जा रही है। 3000 करोड़ रुपए के घोटाले की जांच कर रही ऐजेंसी EOW के सूत्रों का कहना है कि 145 दिन की जांच में EOW को नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं। बता दें कि इस जांच प्रक्रिया के दौरान लगातार आरोप लगते रहे कि ईओडब्ल्यू की तमाम कार्रवाई भ्रष्टाचार की जांच करने के लिए नहीं बल्कि राजनीति से प्रेरित होकर की जा रही है।
अज्ञात राजनेताओं के खिलाफ दर्ज है FIR
ईओडब्ल्यू ने तीन हजार करोड़ के ई-टेंडर घोटाले में 10 अप्रैल को जांच शुरू की थी। इसमें पांच विभागों, 7 कंपनियों के डायरेक्टरों के साथ ही अज्ञात नौकरशाहों और राजनेताओं के खिलाफ धारा 120B, 420, 468, 471, आईटी एक्ट 2000 की धारा 66, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7 सहपठित धारा 13(2) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। FIR कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम की जांच के आधार पर की गई। जिन नौ टेंडर्स में टैंपरिंग हुई, उनमें जल निगम के तीन, लोक निर्माण विभाग के दो, जल संसाधन विभाग के दो, मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम का एक और लोक निर्माण विभाग की पीआईयू का एक टेंडर शामिल है। ये टेंडर जनवरी से मार्च 2018 के दौरान प्रोसेस हुए थे।
नरोत्तम मिश्रा की चारों तरफ से घेराबंदी की गई थी
एफआईआर के बाद ईओडब्ल्यू (EOW) ने करीब नौ लोगों को गिरफ्तार भी किया था। इनमें दो आरोपी वीरेंद्र पांडेय और निर्मल अवस्थी पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा के निजी सहायक रह चुके हैं। शिवराज सरकार के दौरान नरोत्तम मिश्रा के पास जल संसाधन विभाग था, ऐसे में उन पर भी घोटाले में शामिल होने के आरोप लगे थे। ईओडब्ल्यू ने नरोत्तम मिश्रा के एक कारोबारी मित्र और उनसे जुड़े हुए किसानों को भी तलब किया था। यानी चारों तरफ से घेराबंदी कर ली गई थी, लेकिन फिर मामला शांत हो गया।
इन कंपनियों के खिलाफ हुई कार्रवाई
हैदराबाद की कंस्ट्रक्शन कंपनी मेसर्स जीवीपीआर लिमिटेड, मैसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड, मुंबई की कंस्ट्रक्शन कंपनी दी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मेसर्स जेएमसी लिमिटेड, बड़ौदा की कंस्ट्रक्शन कंपनी सोरठिया बेलजी प्राइवेट लिमिटेड, मेसर्स माधव इंफ्रा प्रोजेक्ट लिमिटेड, भोपाल की कंस्ट्रक्शन कंपनी मेसर्स राजकुमार नरवानी लिमिटेड डायरेक्टरों पर एफआईआर दर्ज है. इनके साथ भोपाल की सॉफ्टवेयर कंपनी ऑस्मो आईटी सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टरों के खिलाफ भी FIR दर्ज की गई है। EOW के डीजी केएन. तिवारी का कहना है कि नरोत्तम मिश्रा के खिलाफ अभी तक साक्ष्य नहीं मिले हैं लेकिन, जांच जारी है।