भोपाल। प्रदेश कांग्रेस मीडिया विभाग के उपाध्यक्ष अभय दुबे ने एक पत्रकार वार्ता के माध्यम से बताया कि हाल ही में मोदी सरकार ने बीती मामा सरकार यानी शिवराज सिंह चौहान सरकार की अकर्मण्यता का एक बहुत बड़ा प्रमाण पत्र और जारी किया है। मोदी सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने हाल ही में जारी की गई एक रिपोर्ट उच्च शिक्षा पर ऑल इंडिया सर्वे ऑन हायर एज्युकेशन 2018-19 के माध्यम से यह खुलासा किया है कि शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने मध्यप्रदेश की उच्च शिक्षा को सर्वाधिक निम्न स्तर का बना दिया था।
चौंकाने वाले तथ्य सामने आते हैं कि:-
1. मध्यप्रदेश में 2018-19 में 18 से 23 वर्ष उम्र के पात्र युवा कुल 8963556 थे, जिनमें से उच्च शिक्षा में अध्ययनरत मात्र 1929344 विद्यार्थी हैं अर्थात 70 लाख 34 हजार 212 युवा उच्च शिक्षा के दायरे से बाहर कर दिये गये।
2. मध्यप्रदेश में अनुसूचित जाति के 18 से 23 वर्ष के युवा 2018-19 में 1439515 थे जिनमें से मात्र 2 लाख 84 हजार 57 युवाओं ने उच्च शिक्षा में प्रवेश लिया। इसी प्रकार अनुसूचित जनजाति के इस उम्र के युवा 749561 थे, जिनमें से मात्र 01 लाख 99 हजार 26 युवाओं ने उच्च शिक्षा में प्रवेश लिया। मध्यप्रदेश में वर्ष-दर-वर्ष उच्च शिक्षा की स्थितियां बद-से बदतर होती गईं।
3. जहां वर्ष 2011-12 में प्रति एक लाख योग्य आबादी पर 25 काॅलेज थे, तो वह 2018-19 में घटकर 24 हो गये।
4. मध्यप्रदेश में 2011-12 में 2172 काॅलेज थे जो 2017-18 तक घटकर 2124 हो गये। वर्तमान में 2191 काॅलेज हैं।
5. मध्यप्रदेश में सभी श्रेणी के टीचर्स वर्ष 2012-13 में 66223 थे, जो वर्तमान में 2018-19 में घटकर 59184 हो गये हैं।
6. मध्यप्रदेश का ग्रास एनराॅलमेंट रेशो 21.5 प्रतिशत है, अजा का 19.7 प्रतिशत और अजजा का 11.4 मात्र है। वहीं नेशनल एवरेज 26.3 प्रतिशत हैं। अनुसूचित जाति का ग्रास एनराॅलमेंट रेशो नेशनल एवरेज 23 प्रतिशत हैं, अनुसूचित जनजाति का ग्रास एनराॅलमें रेशो नेशनल एवरेज 17.2 प्रतिशत है।