भोपाल। गरीब टीबी मरीजों को पोषण आहार के लिए केंद्र सरकार द्वारा मरीजों के खातों में प्रतिमाह 500 रुपए भेजे जाते हैं पंरतु मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मरीजों के बजाए अपने निजी खाते दर्ज कर दिए और मरीजों के हिस्से का पोषण आहार भत्ता खुद खा गए। यह घोटाला पूरे प्रदेश में हुआ है। कुछ कर्मचारी तो बड़े गढ्डे में नजर आ रहे हैं।
सॉफ्टवेयर ने पकड़ा घोटाला
टीबी मरीजों को इलाज के दौरान उचित पोषण आहार के लिए केंद्र सरकार हर माह पांच सौ रुपए देती है। छह माह में मरीज के अकाउंट में तीन हजार रुपए टांसफर किए जाते हैं। यह पैसा निक्षय सॉफ्टवेयर की मदद से ऑनलाइन ट्रांसफर किया जाता है। शिकायतों के बाद केंद्र सरकार ने सॉफ्टवेयर में रिस्क नाम का फिल्टर लगाया है। इस फिल्टर की मदद से उन खातों की जानकारी सामने आ जाती है, जिनके अकाउंट में तीन हजार से ज्यादा ट्रांसफर हुआ। कटनी, सतना, इंदौर, धार जिलों में तो एक ही कर्मचारी के अकाउंट में दो से ढाई लाख रुपए डालने की जानकारी सामने आई है।
सिर्फ छोटे कर्मचारी जांच की जद में
मरीजों की शिकायत के बाद सामने आए इस घोटाले में विभाग केवल छोटे कर्मचारियों को दोषी मान रहा है, जबकि जानकारों का कहना है कि जिले के वरिष्ठ अधिकारियों की मिली भगत के बिना इतनी बड़ी हेर-फेर संभव ही नहीं है। दूसरी तरफ विभाग ने इन्हीं अधिकारियों को जांच का जिम्मा दे दिया है। बताया जा रहा है कि ये अधिकारी जांच की जगह कर्मचारियों से पैसे की रिकवरी का मामले को रफा-दफा करने की तैयारी में लगे हैं।