मप्र में अतिवर्षा एवं बाढ़ की स्थिति पर सरकार की आधिकारिक रिपोर्ट | MP NEWS

भोपाल। मध्यप्रदेश में एक जून 2019 से 17 सितंबर 2019 की अवधि में प्रदेश में 1192.2 मिलीमीटर वर्षा हो चुकी है। यह एल.पी.ए ( दीर्घकालीन वार्षिक वर्षा) के इस अवधि के औसत से 33 प्रतिशत अधिक है। प्रदेश के 13 जिलों में (सभी पश्चिमी और मध्य क्षेत्र) एल.पी.ए. से 60 प्रतिशत अधिक वर्षा दर्ज की गई है। कुल 3 जिलों मंदसौर, आगर, नीमच में उनके एल.पी.ए. से दोगुनी वर्षा दर्ज की गई है।

प्रदेश के राजगढ़, रायसेन, विदिशा, खण्डवा, रतलाम, हरदा, मंडला, बालाघाट, सिवनी, सागर, मंदसौर, उज्जैन, आगर, नीमच, भोपाल, शाजापुर, नरसिंहपुर, देवास, मुरैना, श्योपुर, भिण्ड, निवाड़ी, सीहोर और अशोकनगर में अतिवर्षा से गंभीर स्थिति पैदा हुई है। इन जिलों में अति वर्षा से विभिन्न बांधों/जलाशयों से पानी की निकासी अथवा नदियों के बैकवाटर से ज्यादा पानी के प्रवाह से स्थिति गंभीर हुई है। अकेले मंदसौर जिले में गांधी सागर बांध में 16 लाख क्यूसेक पानी का प्रवाह हुआ, जबकि बांध का अधिकतम जल निकासी स्तर (आउट फ्लो) 6.6 लाख क्यूसेक पानी है। इस स्थिति के उत्पन्न होने से बांध के सभी 19 गेट खोले गये हैं। इसके अलावा इंदौर संभाग के बड़वानी, धार और अलीराजपुर जिले सरदार सरोवर परियोजना के अप्रत्याशित बढ़े हुए जल-स्तर से प्रभावित हुए हैं।

प्रदेश के 28 बड़े बांधों में से 17 बांध के गेट वर्तमान में खुले हुए हैं। प्रदेश के अधिकांश जलाशय अपनी जल संग्रहण क्षमता से सौ फीसदी जल के साथ पूर्ण जलाशय स्तर (एफआरएल) पर है। प्रदेश की अधिकांश नदियाँ पिछले दिनों से खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और अभी भी खतरे के निशान से ऊपर ही बह रही है। प्रदेश में आने वाले समय में अब अधिक वर्षा की स्थिति नहीं बन रही है।

प्रदेश के कुल 52 जिलों में से 36 अति वर्षा से प्रभावित हुए हैं। तहसील स्तर पर देखा जाये तो प्रदेश की 385 ग्रामीण तहसीलों में से 186 ग्रामीण तहसील अति वर्षा से प्रभावित हुई है। इसी तरह प्रदेश के 52 हजार गाँवों में से लगभग 8000 गाँव अति वर्षा से प्रभावित हुए हैं।

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!