ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस की फाइल खोलने वाले हैं! | MADHYA PRADESH VIKAS CONGRESS

भोपाल। ज्योतिरादित्य सिंधिया का कोई बयान नहीं आया है। यही कारण है कि चर्चाओं और अफवाहों का दौर तेज हो गया है। ग्वालियर संभाग में राजनीति से जुड़े पत्रकार बता रहे हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता द्वारा स्थापित की गई पार्टी 'मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस' के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। (Jyotiraditya Scindia is seriously considering the option of 'Madhya Pradesh Vikas Congress', a party founded by his father.) इससे पहले खबर आई थी कि वो भाजपा के संपर्क में हैं। 

प्रश्न अब सिंधिया की प्रतिष्ठा का है

ज्योतिरादित्य सिंधिया के मौन ने अब इस लड़ाई को उनकी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया है। कमलनाथ और दिग्विजय सिंह ने दावा किया ​है कि वो नाराज नहीं हैं, परंतु ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस बारे में अब तक कुछ नहीं बोला है। अब तक कहा जा रहा था कि उनके समर्थक चाहते हैं कि वो प्रदेश अध्यक्ष बनें परंतु अब दिल्ली से स्पष्ट खबर आई है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खुद अपनी दावेदारी पेश की है। 

कमलनाथ की चाल कामयाब होगी या नहीं

ज्योतिरादित्य सिंधिया पर इस बार भी दोनों तरफ से हमला हुआ। दिग्विजय सिंह ने सिंधिया के सामने अजय सिंह राहुल को उतारकर लड़ाई को कठिन बनाया तो कमलनाथ ने भोपाल से दिल्ली के लिए उड़ान भरी, सोनिया गांधी से मिले तो प्रदेश अध्यक्ष पद का फैसला ही टाल दिया गया। उम्मीद थी कि इसके बाद सबकुछ शांत हो जाएगा परंतु ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है। क्या कमलनाथ की टालने वाली पॉलिटिक्स इस बार भी कामयाब हो पाएगी। 

माधवराव सिंधिया को भी ऐसे ही घेरा गया था

कांग्रेस में माधवराव सिंधिया के पास भी विरोधियों की कमी नहीं थी। मध्य प्रदेश में अर्जुन सिंह से लेकर दिल्ली में पी. व्ही. नरसिम्हाराव तक दमदार विरोधियों की लम्बी लिस्ट थी। अर्जुन सिंह ने माधवराव सिंधिया को कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनने दिया। हवाला घोटाला में जब माधवराव सिंधिया का नाम आया तो सारे नेता एक साथ हमलावर हो गए। माधवराव सिंधिया ने पहले मंत्रिमंडल से इस्तीफा दिया फिर कांग्रेस से भी इस्तीफा देना पड़ा। इसके बाद उन्होंने अपनी पार्टी बनाई थी, नाम था मध्य प्रदेश विकास कांग्रेस। इस पार्टी के बैनर तले वो चुनाव लड़े और जीते भी। 

ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए भी परिस्थितियां बदली नहीं हैं

माधवराव और ज्योतिरादित्य सिंधिया की कहानी बिल्कुल एक जैसी है, बस पात्रों के नाम बदल गए हैं। माधवराव, राजीव गांधी के दोस्त थे। ज्योतिरादित्य, राहुल गांधी के मित्र हैं। माधवराव को अर्जुन सिंह ने कभी प्रदेश में ताकतवर नहीं होने दिया, ज्योतिरादित्य को दिग्विजय सिंह कभी पॉवर में नहीं आने देते। मध्य प्रदेश में माधवराव सिंधिया विरोधियों का गुट हमेशा सबसे बड़ा और शक्तिशाली रहा। अब ज्योतिरादित्य सिंधिया के विरोधियों का गुट भी सबसे बड़ा और शक्तिशाली है।

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